देश में बढ़ते COVID-19 मामलों के मद्देनजर राज्य सरकारों द्वारा लॉकडाउन और कर्फ्यू की घोषणा के साथ, प्रवासी मजदूरों को एक बार फिर से दिहाड़ी मिलने में मुश्किल पेश आ रही है। वहीं, पत्रकार बरखा दत्त ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया है जिसमें वे एक कोविड आईसीयू से रिपोर्ट कर रही हैं। वीडियो में डॉक्टर हाथ जोड़कर लोगों से अपील करती हैं कि त्योहार इंतजार कर सकते हैं। डॉक्टर ने कहा, “जब मैं जवान लोगों को मरते देखती हूं तो मेरा दिल टूट जाता है।”

मालूम हो कि मार्च 2020 में देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के बाद लाखों श्रमिकों को अपने घर वापस जाना पड़ा था। साल भर बाद भी उनकी स्थिति में बहुत बदलाव नहीं आया है। अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस महासचिव अमरजीत कौर ने बताया, ‘मजूदरों को लग रहा है कि अगर फिर से लॉकडाउन होता है तो वे शहरों में फंसे रह जाएंगे और इसलिए वे अपने गांवों को लौटने लगे हैं। पिछले साल लॉकडाउन के बाद, इनमें से कई मजदूरों को अपनी नौकरी वापस नहीं मिल सकी क्योंकि जिन ठेकेदारों ने उन्हें काम पर रखा था, वे उन्हें लॉकडाउन की मजदूरी देने की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते थे।”

उन्होंने कहा कि यूनियनों को जानकारी मिली है कि लखनऊ, दिल्ली, कर्नाटक और महाराष्ट्र से मजदूर वापिस अपने घर लौट रहे हैं। उन्होंने कहा, “सरकार ने कोई सबक नहीं सीखा है। मुझे यह लगता है कि सरकार को पता था कि अर्थव्यवस्था पिछले साल खराब स्थिति में थी और उन्होंने लॉकडाउन को चार घंटे के नोटिस के साथ लागू किया। मजदूरों के जीवन के साथ खिलवाड़ करते हुए बुरी अर्थव्यवस्था के लिए महामारी को दोषी ठहराया।”


उन्होंने बताया कि मजदूरों ने जान लिया है कि सरकार उनके लिए कुछ भी नहीं करने वाली है; शहरों को छोड़कर वे खुद की सुरक्षा कर रहे हैं।

यूनियन नेता ने कहा कि अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले पहले से ही महाराष्ट्र और दिल्ली में कर्फ्यू और लॉकडाउन के कारण दिहाड़ी के नुकसान को झेल रहे हैं।

बंधुआ मुक्ति मोर्चा के महासचिव निर्मल गोराना ने कहा कि दिल्ली सरकार ने गुरुवार को वीकेंड कर्फ्यू की घोषणा की है। इसके बाद बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर दिल्ली छोड़कर जाएंगे।