मुंबई में कोरोना का प्रसार बहुत तेजी से हो रहा है। इसकी पुष्टि सीरो सर्वे में भी हुई। यहां के 3 वॉर्ड के 6,936 लोगों पर किए गए सीरो सर्वे में 40.5 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी पाई गईं। यानी इतने लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं और उसे हराकर इनके शरीर ने वायरस से लड़ने वालीं एंटीबॉडी विकसित कर ली हैं। मुंबई में कोरोना का खतरा स्पेन, दिल्ली आदि जगहों से कहीं ज्यादा है। अप्रैल से मई के बीच स्पेन में हुए सीरो सर्वे में 5 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी मिली थी।
मुंबई में हुए इस सर्वे में संक्रमण को लेकर कई दिलचस्प बातें भी सामने आईं। मसलन, वायरस का प्रसार क्षेत्र के हिसाब से कम ज्यादा है। स्लम एरिया में संक्रमण के मामले अधिक मिले। बीएमसी ने सर्वे के लिए मतुंगा, चेंबूर और दहीसार वॉर्ड को चुना। इनमें स्लम एरिया से 4,234 और गैर स्लम एरिया से 2702 लोग शामिल हुए। मतुंगा में सबसे ज्यादा 57.8 लोगों में एंटीबॉडी मिलीं। टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के प्रोफेसर संदीप जुनेजा ने बताया कि दहीसार और चेंबूर में वायरस का प्रसार कम हुआ है। स्लम इलाकों में वायरस का प्रसार 57 प्रतिशत मिला, जबकि गैर स्लम इलाकों में महज 16 प्रतिशत मिला। घनी आबादी, सोशल डिस्टेंसिंग का अभाव, टॉइलेट साझा करने जैसी वजहों से स्लम इलाकों में संक्रमण तेजी से फैला।
यदि इन निष्कर्षों को अलग किया जाता है, तो इसका मतलब यह है कि मुंबई में लगभग 70 लाख लोग पहले ही कोविड -19 के संपर्क में आ चुके हैं। यह भी दर्शाता है कि कोविड -19 मामलों का अनुपात अपेक्षा से बहुत अधिक है, क्योंकि एंटीबॉडी के लिए सकारात्मक परीक्षण करने वालों में से कोई भी आरटी-पीसीआर परीक्षण से नहीं गुजरा था। अब तक लगभग 70-80 प्रतिशत कोविद -19 मामलों का निदान किया गया था। यह सर्वेक्षण बताता है कि शायद 90 प्रतिशत से अधिक लोग बिना लक्षण वाले हैं। सर्वे में पाया गया है कि वास्तविक मृत्यु दर, उस स्थिति में, 0.05 से 0.10 प्रतिशत तक कम होगी। मुंबई में वर्तमान में पुष्टि किए गए कोविद मामले 6,187 मौतों (5.5 प्रतिशत घातक दर) के साथ 1.10 लाख हैं।
मुंबई की दो निजी प्रयोगशालाओं में एंटीबॉडीज के लिए परीक्षण किए गए 9,590 नमूनों का डेटा कुल मिलाकर 24.3 प्रतिशत कोविड -19 के मुकाबले एंटीबॉडीज था। इन नमूनों को उन लोगों से एकत्र किया गया था जो इस टेस्ट का खर्चा उठा सकते थे। इसमें ऑफिस-गोअर, व्यवसायी, सैलून कर्मचारी, स्वास्थ्य कार्यकर्ता और आवासीय सोसायटी वाले लोग शामिल थे। थायरोकेयर ने 5,485 लोगों का परीक्षण किया, और 1,501 (27.3 प्रतिशत) में एंटीबॉडी पाया। इसी तरह उपनगरीय डायग्नोस्टिक्स लैब ने 4,105 लोगों का परीक्षण किया और पाया कि 830 (20.2 प्रतिशत) में एंटीबॉडी थे।

