संघ परिवार से जुड़े कुछ संगठनों को लेकर धर्मांतरण संबंधी विवाद के बीच भाजपा और सरकार ने जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाने के मुद्दे पर आज गेंद विपक्ष के पाले में डाल दी। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि सरकार जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून लाने के लिए तैयार है और ‘तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों’ को इसका समर्थन करने की चुनौती दे डाली। दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि इस प्रस्ताव पर विपक्ष ने सकारात्मक रूप से जवाब नहीं दिया है।

इस बीच, विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल ने इस बात पर जोर दिया कि देश में हिंदू मूल्यों को फिर से बहाल किया जाएगा। शाह, नायडू और सिंघल की इन टिप्पणियों से एक दिन पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने संघ परिवार के मौजूदा विवादास्पद अभियान का मजबूती के साथ बचाव किया और विपक्ष को चुनौती दी कि वे धर्मांतरण को प्रतिबंधित करने से जुड़े कानून का समर्थन करें।

शाह ने कहा कि भाजपा ने धर्मांतरण पर अपना रुख साफ कर दिया है और कोई भी भाजपा के विकास के एजंडे को पटरी से नहीं उतार सकता। इन मामले में संघ के शामिल होने के बारे में बार-बार पूछे जाने पर शाह ने सीधा कुछ कहने से बचने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि संघ एक राष्ट्रवादी संगठन है और मुझे उनके कार्यों पर कोई संदेह नहीं है।

BJP President Amit Shah Conversion Battle
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि धर्मांतरण पर भाजपा का रुख स्पष्ट है और सरकार इस पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून लाने को तैयार है।

 

बताते चलें कि विपक्षी पार्टी उत्तर भारत में ‘घर वापसी’ के मुद्दे पर सरकार को घेर रही है और राज्यसभा में मोदी से बयान देने की मांग पर कामकाज बाधित है।

दो दिन की यात्रा पर चेन्नई आए भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि धर्मांतरण पर भाजपा का रुख स्पष्ट है और सरकार इस पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून लाने को तैयार है। उन्होंने इस मुद्दे पर गेंद विपक्ष के पाले में सरकाते हुए कहा कि संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने संसद में कहा है कि सरकार जबरन धर्मांतरण के खिलाफ विधेयक लाने को तैयार है। क्या तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दल इसका समर्थन करेंगे?

उधर, हैदराबाद में केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने भागवत के धर्मांतरण के खिलाफ कानून लाने का समर्थन करने को लेकर सवाल पूछे जाने पर कहा कि सरकार व्यापक सहमति के बिना इसे लेकर कोई कानून नहीं लाएगी। उन्होंने कहा कि भाजपा पहले ही घोषणा कर चुकी है कि देश के मौजूदा हालात को देखते हुए धर्मांतरण के खिलाफ कानून लाना सही होगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लेकिन यह तभी संभव होगा जब देश में आम सहमति बने। बिना सहमति के सरकार इस तरह का कोई कानून नहीं लाएगी। सलाह दी जा चुकी है। हर किसी को सलाह देने का हक है। आपको टिप्पणी करने का हक है।

शाह ने इस बात को खारिज किया कि उनकी पार्टी का रुख अन्नाद्रमुक के प्रति नरम है। उन्होंने कहा कि राजनीति में अप्रत्यक्ष गठजोड़ जैसा कुछ भी नहीं होता। शनिवार को भी हमारे भाजपा नेताओं ने तमिलनाडु सरकार की रैली में आलोचना की। उन्होंने कहा कि राज्य संकट का सामना करना पड़ रहा है। दस साल तक केंद्र में कांग्रेस के कुशासन व राज्य में द्रमुक व अन्नाद्रमुक की गलत नीतियों से राज्य का विकास ठप हो गया है।

श्रीलंकाई नौसेना के भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार करने के मुद्दे पर उन्होंने हाल में वहां मौत की सजा पाए पांच मछुआरों को रिहा कराए जाने का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह अच्छी शुरुआत है। मोदी के सत्ता में आने के बाद हमारे किसी मछुआरे पर गोली नहीं चलाई गई और स्थिति बेहतर हो रही है। हम समस्या सुलझाने के लिए कोई समय सीमा नहीं दे सकते।

भाजपा से गठबंधन सहयोगियों के अलग होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जब भी गठजोड़ बनता है, इनमें से कुछ विभिन्न कारणों से बाहर आते हैं। कुछ गठबंधन में आते भी हैं। यह सामान्य बात है। मैं यह कह सकता हूं कि मौजूदा स्थिति में भाजपा 2016 के विधानसभा चुनाव का सामना करने के लिए मजबूत स्थिति में है।