केद्रीय गृह मंत्रालय ने 26 अक्तूबर को अहम आदेश जारी किया। इसके तहत दूसरे राज्यों में रहने वालों को जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने की इजाजत मिल गई। केंद्र सरकार ने पिछले साल संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए को रद्द कर किया और जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बनाया था। अनुच्छेद 35ए यह गारंटी देता था कि राज्य की जमीन पर सिर्फ उसके स्थायी निवासियों का हक है। अब अनुच्छेद 35ए तो रहा नहीं, लिहाजा नए आदेश से जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने का रास्ता खुल गया।

जम्मू-कश्मीर के चार कानून ऐसे थे, जिनसे स्थाई निवासियों का ही जमीन पर मालिकाना हक सुनिश्चित किया गया था। ये कानून थे- जम्मू-कश्मीर एलिनेशन आॅफ लैंड एक्ट 1938, बिग लैंडेड एस्टेट्स अबॉलिशन एक्ट 1950, जम्मू-कश्मीर लैंड ग्रांट्स एक्ट 1960 और जम्मू एंड कश्मीर एग्रेरियन रिफॉर्म्स एक्ट 1976। गृह मंत्रालय के ताजा आदेश के तहत इनमें से प्रथम दो कानून रद्द हो गए हैं। बचे दोनों कानूनों में जमीन को लीज पर देने और स्थानांतरित करने से जुड़ी शर्तों में स्थाई निवासी वाला क्लॉज हटा दिया है।

सवाल उठ रहा है कि अब क्या कोई भी भारतीय जम्मू-कश्मीर में किसी भी जमीन को खरीद सकेगा? जवाब है कि कुछ जगह पाबंदियां अब भी लागू रहेंगी। जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने स्पष्ट किया कि खेती की जमीन बाहरी लोग नहीं खरीद सकेंगे। कानून में बदलाव का उद्देश्य निवेश बढ़ाना है। खेती की जमीन सिर्फ राज्य के किसानों के पास ही रहेगी।

बाहरी व्यक्ति जम्मू-कश्मीर में खेती को छोड़कर कोई भी जमीन खरीद सकेंगे। इसी तरह डेवलपमेंट अथॉरिटी अब केंद्रीय कानून के तहत जमीन का अधिग्रहण करेगी और तब लीज पर देने या अलॉट करने के लिए स्थाई निवासी का नियम आवश्यक नहीं रहेगा।

इसी तरह जम्मू-कश्मीर इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन औद्योगिक क्षेत्रों में तेजी से उद्योग लगाने और उनके लिए कॉमर्शियल सेंटर बनाने पर काम करेगा। औद्योगिक संपत्तियों को मैनेज करेगा और सरकार के नामित औद्योगिक क्षेत्र को विकसित करेगा।

कश्मीर में सेना के ठिकाने बनाने के लिए जमीन की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। इसके लिए अधिनियम में महत्त्वपूर्ण बदलाव किया है। इस अधिनियम के तहत सैन्य बलों को एनक्लेव बनाने की छूट मिली हुई है।

क्या कमजोर तबके के घरों को कोई भी खरीद सकेगा? अब तक सस्ते आवास का नियम सिर्फ जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासियों में से आर्थिक रूप से कमजोर तबकों और कम आय वाले समूहों के लिए था। नया बदलाव देशभर के किसी भी इलाके के आर्थिक कमजोर तबके और कम आय वाले समूह को जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने या घर बनाने की इजाजत देता है। हाल ही में केंद्र शासित प्रदेश सरकार ने नई आवास नीति घोषित की है और पांच साल में वह एक लाख यूनिट्स बनाने वाली है।

सस्ते मकान और झोपड़पट्टी विकास योजना के तहत निजी-सरकार गठबंधन वाली कंपनियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। बाहरी लोगों को खेती की जमीन खरीदने के अधिकार को लेकर नए प्रावधान कहते हैं कि नए कानून में खेती की जमीन उसे नहीं बेच सकते जो किसान नहीं है। लेकिन, इसमें प्रावधान है कि सरकार या उसकी ओर से नियुक्त एक अधिकारी खेती की जमीन ऐसे व्यक्ति को बेचने, उपहार देने, बदलने या गिरवी रखने की मंजूरी दे सकता है।

यहां जो व्यक्ति खरीद रहा है, उसके पास जम्मू-कश्मीर का स्थायी या मूल निवासी प्रमाण पत्र होना आवश्यक नहीं है। पहले तो लैंड यूज बदलने का अधिकार राजस्व मंत्री के पास था, अब कलेक्टर भी यह कर सकेगा।