अजय पांडेय

कांग्रेस ने भाजपा पर मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार को धन बल के दम पर अस्थिर करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है जबकि भाजपा ने सूबे के ताजा राजनीतिक घटनाक्रम को कांग्रेस की अंदरुनी कलह का परिणाम करार दिया है। कहा यह भी जा रहा है कि गुना से संसदीय चुनाव हारने वाले कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और वरिष्ठ पार्टी नेता दिग्विजय सिंह को राज्यसभा भेजने के मुद्दे पर पार्टी में जारी गुटबाजी की वजह से ही विधायकों की उछल कूद देखने को मिल रही है।कांग्रेस प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने यह आरोप भी लगाया कि यह सब भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के इशारे पर हो रहा है।

उन्होंने संसद परिसर में बुधवार को संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया-काले धन का इस्तेमाल करके चुनी हुई सरकार को गिराने का प्रयास हो रहा है। पहले कर्नाटक में यही किया गया और कई दूसरे राज्यों में भी यही किया गया। गोहिल ने आरोप लगाया-यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी के इशारे पर हो रहा है। जनमत के खिलाफ जाने और दूसरी पार्टियों को तोड़ने की साजिश हो रही है। उन्होंने कहा कि यह साजिश सफल नहीं होगी। उन्होंने यह भी कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि ऐसी हरकत करने वालों को उच्चतम न्यायालय फटकार लगाएगा।

मालूम है कि मध्यप्रदेश से इस बार राज्यसभा की तीन सीटें खाली हो रही हैं। इनमें प्रभात झा व सत्यनारायण जटिया भाजपा से हैं जबकि दिग्विजय सिंह कांग्रेस से हैं। सूत्रों की मानें तो प्रदेश में संख्या बल के हिसाब से इस बार कांग्रेस का पलड़ा भारी है और वह सूबे से दो नेताओं को राज्यसभा भेजना चाहती है। इनमें से एक तो लोकसभा चुनावों में भोपाल सीट से भाजपा उम्मीदवार प्रज्ञा ठाकुर से चुनाव हारे दिग्विजय सिंह ही हैं जबकि पार्टी हाईकमान दूसरी सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेजने का मन बनाया है।

बताया जा रहा है कि सूबे में कांग्रेस के कई धड़े सिंधिया के खिलाफ हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ से लेकर दिग्विजय सिंह तक से उनका छत्तीस का आंकड़ा है। कुछ ऐसे नेता भी हैं जो इस लड़ाई का फायदा उठाकर खुद उच्च सदन पहुंचने की फिराक में हैं। सिंधिया विरोधी नेता चाहते हैं कि पार्टी हाईकमान उनको छत्तीसगढ़ से उच्च सदन भेजे जबकि मध्यप्रदेश की सियासत करने वाले सिंधिया हर हाल में अपने राज्य का ही प्रतिनिधित्व संसद में करना चाहते हैं।

सूत्रों ने कहा कि कुछ विधायकों के गुरुग्राम और कुछ के बंगलुरु के होटल में मौजूद रहने की खबरों के बीच यदि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ से लेकर पार्टी प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल तक यह दावा कर रहे हैं कि सूबे की सरकार को कोई खतरा नहीं है तो जाहिर है कि ये सारे विधायक कांग्रेस के ही पाले में हैं और उनके विरोध की वजह, भाजपा के प्रलोभन के बदले पार्टी की आंतरिक कलह भी हो सकती है।

भजपा द्वारा कांग्रेस विधायकों की खरीद-फरोख्त की कथित कोशिशों के बारे में पूछे जाने पर कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर में कहा-भाजपा का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। दरअसल, कांग्रेस में अंदरूनी लड़ाई चल रही है और यह मामला इसी का परिणाम है। भाजपा महासचिव ने दावा किया कि सूबे की राजनीति में फिलहाल जो भी हो रहा है, वह सत्तारूढ़ कांग्रेस विधायकों की कुंठा और मुख्यमंत्री कमलनाथ के प्रति उनका गुस्सा दिखाता है।