उत्तर प्रदेश में तकरीबन एक साल पहले भाजपा सरकार को ब्राह्मण उत्पीड़न के मुद्दे पर घेरने वाले जितिन प्रसाद अब खुद यूपी विधानसभा चुनाव से पहले सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ खुद ब्राह्मण वोट जुटाने की कवायद में नजर आएंगे। प्रसाद ने बुधवार को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की मौजूदगी में भाजपा जॉइन कर ली। चौंकाने वाली बात यह है कि इस मसले पर जहां कांग्रेस का कोई बयान नहीं आया है, वहीं भाजपा ने उनका पार्टी में हाथों-हाथ स्वागत किया है।
भाजपा में शामिल होने के बाद क्या बोले जितिन प्रसाद?: जितिन प्रसाद ने भाजपा में शामिल होने के साथ ही अपने नए दल की तारीफ की। उन्होंने कहा कि देश में अगर कोई संस्थागत दल है, तो वह भाजपा है। उन्होंने कहा कि भाजपा एक विचारधारा वाली पार्टी है, जबकि बाकी पार्टियां व्यक्ति विशेष पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि यह उनके जीवन का नया अध्याय है। पार्टी बदलने के फैसले पर उन्होंने कहा कि यह उनका सोच-समझकर लिया गया फैसला है, क्योंकि कांग्रेस में रहकर जनता की सेवा नहीं कर पा रहे थे।
कौन हैं जितिन प्रसाद?: जितिन प्रसाद एक समय कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे जितेंद्र प्रसाद के बेटे हैं। हालांकि, खुद जितेंद्र प्रसाद भी एक समय सोनिया गांधी के लिए चुनौती पैदा करते हुए जबरदस्त विरोध कर चुके थे। 1998 में जब सोनिया गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ा तो जितेंद्र प्रसाद उनके खिलाफ खड़े हो गए। हालांकि तमाम विरोध के बाद भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया ही बनीं। कांग्रेस ने आगे चलकर जितिन प्रसाद को पहले सांसद फिर मनमोहन सरकार में मंत्री भी बनाया।
जी-23 के नेताओं में शामिल रहे थे जितिन प्रसाद: गौरतलब है कि जितिन प्रसाद उन नेताओं में शामिल रहे हैं, जिन्होंने पिछले साल कांग्रेस में हर स्तर पर बदलाव की मांग करते हुए पार्टी आलाकमान को चिट्ठी लिखी थी। हालांकि, उनकी और बाकी 22 नेताओं की चिट्ठी पर कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ। इसके बजाय जितिन प्रसाद को बंगाल में पार्टी का प्रभारी बनाकर भेजा गया, ताकि उन्हें मनाया जा सके।
यूपी में ही उठाया था ब्राह्मण उत्पीड़न का मुद्दा: पिछले साल अगस्त में जितिन प्रसाद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यूपी सरकार पर ब्राह्मणों के उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए इस मुद्दे को विधानसभा में जोर-शोर से उठाने की बात कही थी। हालांकि, अब अगले चुनाव से पहले भाजपा ने उन्हें शामिल कराकर ब्राह्मण वोट बैंक पर पकड़ बनाने की कोशिश की है। हालांकि, ये आगे तय होगा कि प्रसाद कांग्रेस के पारंपरिक ब्राह्मण वोटरों को कैसे अपने पाले में करेंगे।