कांग्रेस ने आज साफ किया कि उसने कल ‘भारत बंद’ का आह्वान नहीं किया है, लेकिन नोटबंदी के मुद्दे पर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन करेगी। पार्टी ने आरोप लगाया कि सरकार का यह फैसला राजनीतिक कदम है जिसे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के रूप में भुनाया जा रहा है। पार्टी नेता जयराम रमेश ने संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘धमाका’ राजनीति में भरोसा रखते हैं और बड़े नोटों को बंद करने का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि उन्हें उत्तर प्रदेश में कुछ संभावनाएं दिखाई दीं जहां अगले साल चुनाव होने हैं।
रमेश ने दावा किया कि विदेशों में जमा कालेधन को वापस लाने के प्रधानमंत्री के बड़े चुनावी वादे को पूरा करने में सरकार की नाकामी को ढकने के लिए 1000 और 500 रुपये के नोटों को बंद किया गया था और मोदी कुछ ‘नाटकीय’ करना चाहते थे। उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘यह एक राजनीतिक कदम है जिसे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के रूप में बेचा जा रहा है।’’
रमेश ने कहा कि अवैध तरीकों से धन जमा करने वाले लोगों को परेशानी नहीं हो रही है लेकिन उन लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है जिनके पास कालाधन नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से जिन लोगों पर हमले की जरूरत थी, वे बचकर निकल गये।’’ रमेश के मुताबिक ‘‘सूट-बूट’’ वाले लोगों का एक वर्ग अब भी विलासिता की जिंदगी जी रहा है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश ने दावा किया कि भाजपा यह गलत जानकारी फैला रही है कि कांग्रेस और अन्य दलों ने ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल कल ‘जन आक्रोश दिवस’ मनाएंगे और देशभर में विरोध प्रदर्शन करेंगे। मोदी सरकार को आड़े हाथ लेते हुए रमेश ने कहा कि 9 नवंबर से आर्थिक गतिविधियां ठहर गयी हैं। संसद में विपक्ष की रणनीति के सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री चर्चा में हिस्सा लेते हैं तो चर्चा होगी। उन्होंने नए नोट लाने में सरकार की तैयारी पर भी सवाल उठाया और कहा कि अनुमान के मुताबिक नए नोटों की छपाई में और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में 250 दिन लग सकते हैं।
रमेश ने ‘कैशलेस’ या ‘लेसकैश’ समाज के प्रधानमंत्री के आह्वान की भी आलोचना करते हुए कहा कि भारत में बड़ी संख्या में लोग दैनिक लेनदेन में नकदी का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह की चीजों में वक्त लगता है और झटके देकर इनके लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।’’ जब रमेश से पूछा गया कि कांग्रेस की सहयोगी जदयू के नेता नीतीश कुमार नोटबंदी के खिलाफ प्रदर्शन के समर्थन में क्यों नहीं हैं तो उन्होंने कहा कि जदयू नेता शरद यादव इसका समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि नोटबंदी के विचार के पीछे पुणे का जो संगठन है, उसने भी कहा है कि जिस तरीके से इसे लागू किया जा रहा है उस तरह का सुझाव उनका नहीं था।
कांग्रेस नेता ने कहा कि उनकी पार्टी इस कदम के मकसद के खिलाफ नहीं है और कालेधन तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ कदमों का समर्थन करेगी लेकिन हालात की हकीकत अलग है। उन्होंने कहा कि देश में केवल दो प्रतिशत लोग नकदीरहित लेनदेन करते हैं। देश को पूरी तरह कैशलैस बनाने में थोड़ा समय लगेगा। उन्होंने कहा कि ‘साउंड बाइट्स’ पसंद करने वाले प्रधानमंत्री ‘कैशलेस या लेसकैश समाज’ की बात कर रहे हैं। क्या वे नकदीरहित मंडिया भी चाहते हैं।
रमेश ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अनुमानों के हवाले से कहा कि देश की कुल जारी मुद्रा में केवल 0.02 प्रतिशत जाली नोट हैं। इसके लिए 80 प्रतिशत जनता को परेशान कर दिया गया है जिनमें किसान, असंगठित और लघु उद्यम क्षेत्र हैं। प्रधानमंत्री पर बड़े-बड़े दावे करने का आरोप लगाते हुए रमेश ने कहा कि एक कार्ययोजना तैयार की जानी चाहिए और खामियों की पड़ताल होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि अनुमान है कि केवल 5 से 10 प्रतिशत कालाधन नकदी में रखा जाता है, वहीं अधिकतर इसे सोने, चांदी या बेनामी संपत्ति के रूप में अथवा विदेशों में रखा जाता है। मोदी ने कहा कि 500 रुपये के नोटों को अचानक से बंद करके जनता को बहुत परेशानी पहुंचाई गयी है। रमेश ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’ लेकिन समझा जाता है कि तत्कालीन मोदी नीत गुजरात सरकार में मंत्री रहे सौरभ पटेल का नाता बहामास की एक कंपनी से था, जहां कई कर चोर जाते हैं।