कांग्रेस ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विदेश नीति को नतीजों की जगह दिखावे में बदल देने का आरोप लगाया। साथ ही उनकी लाहौर यात्रा के कुछ दिनों के अंदर ही पठानकोट आतंकवादी हमले होने के मद्देनजर पाकिस्तान के साथ संबंधों को लेकर सरकार को आड़े हाथ लिया। पार्टी प्रवक्ता आनंद शर्मा ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री को पाकिस्तान से क्या आश्वासन मिला जिस पर वे 25 दिसंबर को लाहौर की अचानक यात्रा पर गए।
शर्मा ने प्रधानमंत्री की यात्रा को नाटकीय हावभाव बताते हुए इसे खारिज कर दिया और कहा कि यूपीए सरकार और उसके तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दिखावे के बदले नतीजों को तरजीह दी। अब इसे दिखावे में बदल दिया गया है। लाहौर में दिखावा हुआ है। प्रधानमंत्री को अब यह बताना चाहिए कि नतीजे क्या हैं। हम बातचीत का समर्थन करते हैं लेकिन हम यह साफ करना चाहते हैं कि हमारी सुरक्षा और अखंडता पर बातचीत नहीं हो सकती। उन्होंने प्रधानमंत्री से यह भी कहा कि पड़ोसी देश के साथ बातचीत को लेकर उन्हें विपक्ष को भरोसे में लेना चाहिए।
शर्मा ने पाकिस्तान के साथ भारत के संबंधों को लेकर पिछली यूपीए सरकार और मोदी सरकार के कामकाज की तुलना पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ समग्र द्विपक्षीय बातचीत मुंबई आतंकी हमलों के बाद स्थगित हो गई और यह बहाल नहीं हो सकी क्योंकि भारत ने कुछ शर्तें रखी थीं। हम चाहते थे कि 26/11 की साजिश रचने वालों के खिलाफ मुकदमा चले। हम चाहते थे कि मुंबई आतंकी हमलों के आरोपियों के खिलाफ त्वरित सुनवाई हो। यूपीए के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पाकिस्तान की यात्रा करने की इच्छा पूरी नहीं हो सकी क्योंकि पाकिस्तान ने अपने वायदों को पूरा नहीं किया। प्रधानमंत्री मोदी को क्या आश्वासन मिले जिसने उन्हें लाहौर की यात्रा के लिए प्रेरित किया?
शर्मा ने अलबत्ता माना कि इस समय देश को एक साथ खड़े होने की जरूरत है। लेकिन उन्होंने जोर दिया- हमें सवाल पूछने का अधिकार है। उन्होंने सवाल किया कि अगस्त में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) स्तरीय बातचीत रद्द होने के बाद बैंकाक में एनएसए अजीत डोभाल और उनके पाकिस्तानी समकक्ष के बीच क्या सहमति बनी?
क्या प्रधानमंत्री मानते हैं कि पाकिस्तानी सेना और आइएसआइ सहित उनके प्रतिष्ठान बातचीत प्रक्रिया के पक्ष में हैं? प्रधानमंत्री को यह आश्वासन कैसे मिला कि शांति प्रक्रिया की बहाली को पूरे पाकिस्तानी प्रतिष्ठान का समर्थन है? उन्होंने सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री मोदी को उस समय कुछ संदेह नहीं हुआ जब उनकी अचानक यात्रा के समय पाकिस्तानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार लाहौर में मौजूद नहीं थे? क्या उस संदेश को सही तरीके से नहीं समझा गया। शर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि कांग्रेस तत्कालीन उस विपक्ष (भाजपा) के विपरीत एक परिपक्व पार्टी है जिसने 26/11 हमले का राजनीतिकरण किया था। उन्होंने कहा कि कांगे्रस का ऐसा करने का कोई इरादा नहीं है।
उन्होंने कहा- लेकिन कुछ सवाल हैं जो हम, भारत के लोग, चाहेंगे कि प्रधानमंत्री जवाब दें क्योंकि सिर्फ उनको और उनके एनएसए को ही पता है कि क्या चर्चा हुई थी और वे क्या चर्चा करने पर सहमत हुए। कांग्रेस नेता ने कहा कि पठानकोट हमला भारत पर हमला है और यह सिर्फ एक आतंकवादी हमला या मानवता पर हमला नहीं है, जैसा मोदी ने कहा है। उन्होंने कहा कि देश के इतिहास और भूगोल को व आतंकी हिंसा सहित जटिल प्रकृति के मुद्दों पर कांग्रेस ने, चाहे वह सरकार में हो या सरकार से बाहर, हमेशा बातचीत का समर्थन किया है बशर्ते एक अनुकूल माहौल हासिल कर लिया गया हो।
इसके साथ ही शर्मा ने इस बात पर खासा जोर दिया कि इस मुद्दे पर देश को भरोसे में लिया जाना चाहिए क्योंकि पाकिस्तान को दी गई कोई रियायत या उसके साथ होने वाले समझौते का दूरगामी परिणाम होगा। यह भारतीयों के लिए नए वर्ष की दुखद शुरुआत है क्योंकि इससे दुख और पीड़ा मिली। पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी संगठनों द्वारा हमले को लेकर पूरा देश उद्विग्न और नाराज है।