कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) को यह जानकारी छिपाने के लिए बयान जारी करने को मजबूर किया गया कि नोटबंदी के समय उस सहकारी बैंक में पांच दिनों के भीतर करीब 746 करोड़ रुपये जमा कराए गए जिसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह निदेशक हैं। पार्टी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री इस पूरे मामले की जांच कराएं ताकि सच्चाई सामने आ सके। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आज (23 जून) संवाददाताओं से कहा, ‘‘आरटीआई से मिली जानकारी के आधार पर जब कांग्रेस ने जवाब मांगा तो नाबार्ड को मजबूर किया गया कि वह आरटीआई आवेदन से सामने आए अपने ही जवाब को छिपाने के लिए बयान जारी करे।’’

सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं और मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला किए जाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने सवाल किया, ‘‘आखिर नाबार्ड पर किसने दबाव बनाया कि वह बयान जारी करे?’’ दरअसल, कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कल दावा किया था कि नोटबंदी के समय अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक में पांच दिनों के भीतर करीब 746 करोड़ रुपये जमा कराए गए। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह इस बैंक में निदेशक हैं। कांग्रेस के इस दावे के बाद सहकारी बैंकों के विनियामक नाबार्ड ने एक बयान जारी कर कहा था, ‘‘अहमदाबाद डीसीसीबी के कुल 17 लाख खातों में से महज 1.60 लाख खातों में पुराने नोट जमा किये गये या बदले गये जो सभी जमा खातों का महज 9.37 प्रतिशत है।’’

वित्त मंत्री पीयूष गोयल द्वारा कांग्रेस के आरोपों को खारिज किए जाने पर खेड़ा ने कहा, ‘‘अस्थायी वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने अमित शाह के बचाव का विफल प्रयास किया। उनको यह पता होना चाहिए कि सच को दबाया नहीं जा सकता। अब सच सामने आ रहा है।’’ महाराष्ट्र के एक औद्योगिक समूह से जुड़े कथित बैंकिंग घोटाले का उल्लेख करते हुए खेड़ा ने दावा किया कि इस समूह के मालिक का भाजपा और आरएसएस से गहरा संबंध है और इसे बचाने की कोशिश की गई है।