उपचुनाव के नतीजों के बाद और दिवाली की एक रात पहले केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले एक्साइज ड्यूटी में क्रमशः 5 रुपए और 10 रुपए की कमी की गई। इसके साथ ही कई राज्य सरकारों ने भी वैट में और कमी की गई, सरकार जहां इस कटौती को जनता के लिए राहत बता रही है तो वहीं विपक्ष इसे सियासी टूल का नाम दे रही है। विपक्ष का कहना है कि पहले बेतहाशा बढ़ोतरी की गई और फिर उपचुनावों के नतीजों को देखने के बाद जनता को कटौती के नाम पर लॉलीपॉप दिया गया है।
न्यूज 24 समाचार चैनल के एक डिबेट शो में महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता अतुल लौंडे पाटिल ने केंद्र सरकार पर राज्यों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया। जब उनसे सवाल किया गया कि महाराष्ट्र समेत अन्य गैर बीजेपी शासित राज्यों में वैट में कटौती कब की जाएगी तो जवाब में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कम किया है तो राज्य सरकारें भी करेंगी लेकिन इसके पीछे के खेल को समझना चाहिए।
पाटिल ने आरोप लगाया कि अगर कोयला की कमी की बात आती है तो पहले गुजरात और मध्य प्रदेश को दिया जाता है। उन्होंने कहा कि जीएसटी मुआवजे की लिस्ट उठाकर देख लीजिए, बीजेपी शासित राज्यों को ये सही समय पर मिला है लेकिन गैर बीजेपी शासित राज्यों के साथ यह समय पर नहीं होता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ रही है लेकिन हम इसे कम करेंगे ही।
जानकारों की मानें तो एक्साइज ड्यूटी में कमी किए जाने के बाद केंद्र सरकार को राजस्व से होने वाली आय में हर महीने करीब 8700 करोड़ रुपए की कमी हो सकती है। जबकि एक साल में यह घाटा करीब 1 लाख करोड़ के पार हो सकता है। वहीं मौजूदा वित्तीय वर्ष में भी कर संग्रह में 45 हजार करोड़ की कमी हो सकती है।
गौरतलब है कि एक्साइज ड्यूटी में यह अबतक की सबसे अधिक कमी है। पिछले साल मई के महीने में जब क्रूड ऑयल के दाम काफी कम हो गए थे तो सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले वैट में क्रमशः 13 रुपए और 16 रुपए की बढ़ोतरी की थी। बढ़ोतरी किए जाने के बाद पेट्रोल पर लगने वाला वैट 32.98 रुपए और डीजल पर यह वैट 31.83 रुपए हो गया था। हालांकि अब पेट्रोल पर 5 रुपए और डीजल पर 10 रुपए की कमी किए जाने के बाद वैट 27.9 रुपए और 21.8 रुपए हो गया है।