Uniform Civil Code: समान नागरिक संहिता को लेकर इस वक्त देश में बहस जारी है, लेकिन इस बहस को उस वक्त और ज्यादा बल मिल गया, जब 27 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में यूनिफॉर्म सिविल कोड की जोरदार वकालत की। पीएम मोदी के बयान के बाद कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने तीखी आलोचना की। AIMIM चीफ ओवैसी ने यहां तक कहा था कि पीएम मोदी को अपनी सोच का सॉफ्टवेयर बदलवा लेना चाहिए।
संभावना जताई जा रही है कि इसी महीने शुरू होने जा रहे संसद के मॉनसून सत्र में केंद्र सरकार UCC को सदन में पेश कर सकती है। मुस्लिम संगठन समेत शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने इसका विरोध किया है। वहीं राजनीतिक दलों के नेताओं की राय भी इसको लेकर बंटी हुई है। अब इसी बीच रविवार को कांग्रेस के कद्दावर नेता और सांसद शशि थरूर ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बयान दिया है।
शशि थरूर ने कहा, ‘हमें पहले यह देखना है कि आखिर सरकार का प्रस्ताव क्या है। सरकार ने अभी तक ड्राफ्ट नहीं रखा है और न ही हितधारकों के साथ किसी भी तरह की कोई चर्चा शुरू की है। इसलिए कांग्रेस पार्टी ने फैसला लिया है कि वह तब तक कुछ नहीं कहेगी जब तक ड्राफ्ट सामने नहीं आता।’
‘हिंदू कोड बिल लाने में लगे 9 साल’
यूनिफॉर्म सिविल कोड पर चिंता व्यक्त करते हुए थरूर ने कहा कि एक चिंता है जो डर का आधार है कि विभिन्न समुदाय द्वारा मिले अधिकारों का हनन हो सकता है। हमें हिंदू कोड बिल लाने के लिए भी आज़ादी के बाद 9 साल लगे और इसलिए लोगों को समझाने में समय लगता है।
UCC का सिखों की सबसे बड़ी संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने भी विरोध किया है। एसजीपीसी का कहना है कि इससे देश में अल्पसंख्यक समुदायों की एक अलग पहचान को नुकसान पहुंचेगा। एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी की अध्यक्षता में शनिवार (8 जुलाई) को हुई कार्यकारी समिति की बैठक में सदस्यों ने कहा कि देश में यूसीसी की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि संविधान विविधता में एकता के सिद्धांत को मान्यता देता है।
हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि हमारे सिद्धांतों, परंपराओं, मूल्यों, जीवन शैली, संस्कृति, स्वतंत्र अस्तित्व और सिखों की विशिष्ट इकाई को कोई चुनौती दे ऐसे बिल को कभी स्वीकार नहीं किया सकता है। उन्होंने कहा कि सिख मर्यादा (आचार संहिता) को सांसारिक कानून द्वारा परखा नहीं जा सकता। इसलिए, सिख समुदाय यूसीसी का विरोध करता है। धामी ने कहा कि 21वें विधि आयोग ने भी यूसीसी को खारिज कर दिया था।
यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुस्लिमों के संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी विरोध जताया है। एआईएमपीएलबी ने यूसीसी को लेकर मुस्लिम धर्मगुरुओं के हवाले से एक बयान जारी किया है। इसमें सरकार से मांग की गई है कि वह इसे लाने का इरादा छोड़ दे। इसी के साथ मुस्लिम समुदाय के लोगों से अपील की गई कि लॉ कमीशन की ओर से मांगी गई राय पर अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें और यह साफ कर दें कि यूसीसी को वो कभी स्वीकार नहीं कर सकते।
क्या है समान नागरिक संहिता?
समान नागरिक सहिता एक देश एक कानून पर आधारित है। यूनिफार्म सिविल कोड आने के बाद देश के सभी धर्म समुदाय के लोगों के लिए एक ही कानून होगा। यूनिफॉर्म सिविल कोड में संपत्ति के अधिग्रहण और संचालन, विवाह, तलाक और बच्चा गोद लेने आदि को लेकर सभी धर्म और समुदायों के लिए एक समान कानून बनाया जाना है।