मुंबई। महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार ने बुधवार को सदन में ध्वनिमत से बहुमत साबित किया। भाजपा नेता आशीष शेलार के रखे प्रस्ताव के ध्वनिमत से पारित होने के समय राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने सदन से बहिर्गमन किया, जिससे फडनवीस सरकार के लिए विश्वास मत जीतना आसान हो गया। मगर जिस तरह से विश्वास प्रस्ताव पारित हुआ है, वह विवाद का विषय बन गया है।

विधानसभा में प्रस्ताव पास होने के दौरान भारी शोरशराबा हुआ। विपक्षी दल शिवसेना के साथ कांग्रेस ने भी मतदान के तरीके का विरोध किया और इसे लोकतंत्र के लिए काला दिन कहा। शिवसेना और कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार अल्पमत में थी और भाजपा के कई विधायक सरकार के साथ नहीं थे।

तीन दिवसीय सत्र की शुरुआत में विरोधी पक्ष के नेता की घोषणा होनेवाली थी। शिवसेना ने विरोधी पक्ष के नेता का नाम स्पष्ट करने की मांग की और विश्वास मत का विरोध किया। मगर विधानसभा अध्यक्ष हरिभाऊ बागड़े का कहना था कि शिवसेना के साथ ही कांग्रेस ने भी विपक्षी दल के नेता पद पर दावा किया है इसलिए इस पर भ्रम की स्थिति है। अध्यक्ष ने बताया कि विश्वास प्रस्ताव भाजपा नेता आशीष शेलार लाएंगे। शेलार ने विश्वास प्रस्ताव रखा जो ध्वनिमत से पास हुआ और जिसकी घोषणा अध्यक्ष ने की। अध्यक्ष की घोषणा के बाद शिवसेना और कांग्रेस के विधायकों ने सदन में हंगामा करना शुरू कर दिया।

ध्वनिमत से प्रस्ताव पास किए जाने के कारण यह स्पष्ट नहीं हो सका कि प्रस्ताव के पक्ष या विपक्ष में कितने विधायक हैं। शिवसेना ने इस पर मतविभाजन की मांग की, जो नामंजूर कर दी गई। इसके बाद हंगामे के कारण सदन को कुछ समय के लिए स्थगित करना पड़ा। सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुई तब अध्यक्ष ने बताया कि विधानसभा में एकनाथ शिंदे विरोधी पक्ष के नेता होंगे।

शिवसेना नेताओं ने सरकार के इस रवैए की कड़ी आलोचना की। दिवाकर रावते ने कहा कि अल्पमत सरकार के गिरने की संभावना के मद्देनजर अध्यक्ष ने मत विभाजन न करते हुए तुरत-फुरत मतदान करवा कर लोकतंत्र पर कालिख लगाई है। शिवसेना नेता रामदास कदम ने कहा कि ध्वनिमत के बाद मतविभाजन की मांग अध्यक्ष ने ठुकरा दी जो लोकतंत्र के खिलाफ है। कदम ने कहा,‘हम कांग्रेस को साथ लेकर राज्यपाल से मिलेंगे। भाजपा के 40 विधायक पार्टी के साथ नहीं थे इसलिए मतदान का यह तरीका अपनाया गया। मत विभाजन होता तो सच्चाई सामने आ जाती। इसलिए भाजपा ने मतदान टाल दिया।’ कदम ने कहा कि प्रस्ताव पास करवाने के लिए भाजपा ने जोड़तोड़ की। उन्होंने कहा कि शिवसेना सभी गैरभाजपाई दलों से बात करेगी और कोशिश करेगी कि प्रस्ताव फिर से रखा जाए।

कांग्रेस नेताओं ने भी विश्वास मत प्रस्ताव पास होने के तरीके पर अंगुली उठाई। पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि उनकी वोट की मांग को टाल दिया गया। चव्हाण ने इसे असंवैधानिक बताते हुए कहा कि नए सिरे से मतविभाजन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस राज्यपाल से मिलकर मामले की शिकायत करेगी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष माणिकराव ठाकरे ने कहा कि प्रस्ताव पास नहीं हुआ है क्योंकि मतविभाजन नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार एक वोट से गिर गई थी, यहां तो भाजपा के 25 विधायक कम थे।

ठाकरे ने कहा कि उनकी पार्टी तब तक सदन नहीं चलने देगी जब तक कि नए सिरे से प्रस्ताव पास नहीं हो जाता। ठाकरे ने राज्यपाल से मिल कर विरोध जताने की बात भी कही।

इससे पहले बुधवार की सुबह शिवसेना नेता रामदास कदम ने स्पष्ट कर दिया था कि उनकी पार्टी विश्वास मत के विरोध में मतदान करेगी। शिवसेना नेता कदम और दिवाकर रावते ने सुबह मुख्यमंत्री से मुलाकात की जिसमें मुख्यमंत्री ने शिवसेना से विश्वास मत के पक्ष में मतदान करने की अपील की। सुबह नौ बजे यह स्पष्ट हो गया कि शिवसेना और भाजपा की बातचीत पूरी तरह से असफल हो चुकी है। तब शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने विप जारी किया और सभी सेना विधायकों से प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने के लिए कहा।