पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए कांग्रेस चिंतित हो गई है। मनमोहन सिंह की राज्यसभा सदस्यता अप्रैल में खत्म हो रही है। कांग्रेस मनमोहन सिंह को तमिलनाडु से राज्‍यसभा भेजना चाह रही है। इसके लिए पार्टी डीएमके प्रेसीडेंट एम के स्टालिन की मदद लेना चाहती है। लेकिन स्टालिन कांग्रेस नेताओं के फोन ही नहीं उठा रहे हैं। मनमोहन सिंह वर्तमान में असम से राज्यसभा सांसद है। अब इस सीट पर वह लड़ नहीं सकते। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी का असम में वर्चस्व हो चुका है।

असम में बीजेपी के पास असेंबली में भारी बहुमत है। जिसके चलते मनमोहन सिंह उम्मीदवारी नहीं ठोक सकते। अब कांग्रेस मनमोहन सिंह के लिए नई सीट तलाश रही है। जिसके लिए पार्टी तमिलनाडु को सुरक्षित मान रही है। हालांकि यहां से मनमोहन सिंह को उच्च सदन भेजने के लिए पार्टी को स्टालिन की मदद की दरकार है लेकन काफी समय से वह नेताओं के फोन रिसीव ही नहीं कर रहे हैं। कांग्रेस डीएमके से ही से मदद चाहती है, खासतौर पर राज्यसभा सांसद कनिमोझी द्वारा लोकसभा में जाने की इच्छा जताए जाने के बाद।

2019 में तमिलनाडु में 6 सीटों पर चुनाव होने हैं। इनमें से 4 तो एआईडीएमके के खाते में जाएंगी। जबकि बची दो पर वर्तमान में डीएमके के दो सांसद हैं। जिनमें एक कनिमोझी और सीपीआई लीडर डी राजा सांसद हैं। डी राजा का कार्यकाल भी समाप्त होने वाला है। लेकिन डीएमके अपने महत्वपूर्ण सहयोगी डी राजा को दोबारा उच्च सदन भेजेगी। वहीं कनिमोझी लोकसभा जाने की इच्छुक हैं। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस यहीं से मनमोहन सिंह को राज्यसभा भेजने की कोशिश करेगी।

बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का असम से पांचवीं बार सांसद हैं। मनमोहन सिंह पहली बार 1991 में असम से ही उच्च सदन पहुंचे थे। उसके बाद 1995, 2001, 2007 और 2013 में भी असम से ही राज्य सभा सांसद बने। बतौर सांसद मनमोहन सिंह हसेशा राज्यभा के ही सदस्य बने। उन्होंने जनता की पसंद बनने के लिए 1999 में दक्षिण दिल्ली से लोकसभा चुनाव भी लड़ा था। लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार विजय मल्होत्रा विजयी हुए थे।