आगामी लोकसभा चुनावों के लिए उत्तर प्रदेश में सीटों के बंटवारे पर चर्चा के लिए मंगलवार को कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच बैठक हुई। अपनी पहली मीटिंग में सपा और कांग्रेस और इस बात पर सहमत हुए कि 2022 के विधानसभा चुनावों में प्रदर्शन, विशिष्ट सीटों पर पार्टियों की पकड़ और संभावित उम्मीदवार प्रमुख मानक होंगे जिनके आधार पर सीट शेयरिंग को अंतिम रूप दिया जाएगा।
द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए एक सपा नेता ने कहा कि पार्टी जीतने योग्य उम्मीदवारों को जगह देगी। नेता ने कहा कि बैठक में यह निर्णय लिया गया कि पार्टियों को अपने संभावित उम्मीदवारों के नाम के साथ उन सीटों की सूची पेश करनी चाहिए जिन पर उन्हें जीत हासिल करने की संभावना है।
इन मानकों पर दिया जाएगा जोर
एक अन्य सपा नेता ने कहा कि इसके बाद यह आकलन किया जाएगा कि संबंधित निर्वाचन क्षेत्र की सामाजिक और जनसांख्यिकीय स्थितियों के अनुसार किस पार्टी का उम्मीदवार सही होगा। नेता ने आगे बताया, “अगर किसी सीट पर ओबीसी की अच्छी-खासी आबादी है तो हम देखेंगे कि किस पार्टी के पास अधिक लोकप्रिय ओबीसी उम्मीदवार है।”
पिछले चुनावों में सपा और कांग्रेस का प्रदर्शन
कांग्रेस ने यूपी में 2014 और 2019 दोनों लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन किया था, इन दोनों चुनावों में पार्टी ने क्रमशः दो और एक सीटें जीती थीं। वहीं, पार्टी अब 2009 के चुनावों में अपने प्रदर्शन को हाइलाइट कर रही है, जब उसने 21 सीटें जीती थीं। कांग्रेस वर्तमान में रायबरेली सीट तक ही सीमित है, जो दशकों से पार्टी का गढ़ रही है। वर्तमान में यह सीट पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास है।
वहीं, सपा भी पिछले दो लोकसभा चुनावों के अपने प्रदर्शन को हाइलाइट नहीं कर रही है। पार्टी ने दोनों बार पांच सीटें जीती थीं। 2019 में, सपा ने केवल 37 सीटों पर चुनाव लड़ा था, और 38 सीटें बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के लिए छोड़ी थीं, जिसके साथ उसने गठबंधन किया था। बसपा ने 10 सीटें जीतीं। पिछली दो बार सपा का वोट शेयर कांग्रेस से ज्यादा था। 2014 में सपा को 22.35% वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस को 7.53% वोट शेयर मिले थे। वहीं, 2014 में सपा को 18.11% वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस को सिर्फ 6.36% वोट मिले थे। 2009 में समाजवादी पार्टी ने 23 सीटें जीती थीं।
एक सपा नेता ने कहा कि अगर गांधी परिवार के सदस्यों को मैदान में उतारा जाता है तो पार्टी कांग्रेस के लिए अमेठी और रायबरेली छोड़ने पर सहमत होगी। इसी तरह, यह भी उम्मीद है कि कांग्रेस उन सीटों की मांग नहीं करेगी जिन पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनके परिवार के अन्य सदस्य चुनाव लड़ेंगे।
विधानसभा चुनाव प्रदर्शन
सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अगर विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन पर गौर किया जाए तो पार्टी को लोकसभा सीटों का एक बड़ा हिस्सा मिल सकता है। एक वरिष्ठ सपा नेता ने कहा, “2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और सपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। सपा का राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) और अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन था। इसलिए प्रत्येक लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में उनके प्रदर्शन के अनुसार प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में पार्टियों की ताकत का आकलन करने के विचार पर चर्चा की गई है। अगर इस तरह से देखा जाए तो सपा अधिकतम लोकसभा सीटों पर दावा करने में सक्षम होगी।”
2022 के चुनावों में सपा ने 111 सीटें जीती थीं और 32% वोट शेयर हासिल किया था। कांग्रेस ने 399 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन सिर्फ एक सीट जीत पाई, जबकि उसका वोट शेयर गिरकर 2.33% हो गया था।