जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार से मिलने के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अपनी ही पार्टी के विद्रोही नेताओं के निशाने पर आ गए। उन्होंने मंगलवार को कहा कि राहुल गांधी के पास कन्हैया कुमार से मिलने का समय तो है लेकिन अपनी ही पार्टी के विधायकों से मिलने का नहीं। कई बार हरीश रावत के कामकाज को लेकर शिकायत की गई लेकिन राहुल गांधी नहीं मिले। उत्तराखंड सरकार में मंत्री रहे हरक सिंह रावत ने बताया,’ यह सब कुछ केंद्रीय नेतृत्व की कमजोरी के चलते हुआ है। जब राहुल गांधीजी केदारनाथ गए थे तो मैं उनके साथ था मैंने उनसे उत्तराखंड की स्थिति को लेकर कई बार मीटिंग की दरख्वास्त की थी। लेकिन उनके पास हमसे मिलने के लिए समय कहां हैं। और हमारे ऐसे कर्म नहीं कि उनसे फोन पे बात कर पाएं।’
उन्होंने कहा,’सोनिया गांधीजी सबसे मिलती हैं। लेकिन उनसे भी हमें कोई राहत नहीं मिली। हमने अंबिका सोनी से भी कई बार कहा लेकिन वे यही कहती रहीं कि उनके हाथ में कुछ नहीं है। अगर हाईकमान ने पहली चिंगारी उठते ही कार्रवाई की होती तो इस आग को रोका जा सकता था। मैं रूद्रप्रयाग से आता हूं जहां पर 2013 की बाढ़ में भारी नुकसान हुआ था। कई गांवों को राहत का इंतजार है। मुझे इस बारे में राहुलजी को बताना पड़ा। लेकिन उनके पास समय ही नहीं है। पांच साल तक हमने इस सरकार के बनने का इंतजार किया लेकिन हमारे काम को पहचान नहीं मिली। हमारी बेइज्जती पर कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में कोई कैसे रह सकता है।’ रावत ने आगे कहा कि उन्हें मंडी समितियों में सदस्य नियुक्त करने का भी अधिकार नहीं है। सीएम चम्मचों से घिरे रहते हैं।
एक अन्य विद्रोही विधायक उमेश शर्मा ने कहा,’ राहुल गांधी के पास जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार से मिलने के लिए समय है लेकिन अपनी पार्टी के विधायकों के लिए उनके पास समय नहीं है।’ उन्होंने दावा किया कि हरीश रावत विद्रोहियों को मनाने की कोशिश कर रहे हैं। शर्मा ने कहा,’सीएम ने आज मुझे बुलाया था और भरोसा दिलाया कि मैं अगर वापस लौटूं तो भरपाई कर दी जाएगी। मैंने उनसे कहा कि अब मामला काफी आगे जा चुका है।’