लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस महामंथन में जुटा है। एक ओर पूरी पार्टी हार के कारण तलाशने और कमजोर पहलू तलाशने में जुटी है। वहीं, दूसरी ओर पार्टी चीफ राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सत्तारूढ़ बीजेपी के विकास रथ को पछाड़ने के लिए हरकत में आ गए हैं। उन्होंने कांग्रेस की कायापलट के लिए पांच प्लान अहम योजनाएं बनाई हैं। इनमें
सूत्रों के हवाले से कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि पार्टी आलाकमान ने हार पर सभी प्रभारियों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, जिसकी गहराई से समीक्षा की जाएगी। कांग्रेस इसके अलावा अपने काम करने के तौर-तरीकों में भी संधोशन के बारे में विचार-विमर्श कर रही है, ताकि भविष्य में उसकी पूर्व की गलतियों का सामना न करना पड़े।
बताया जा रहा है कि राहुल की योजना में सबसे पहली चीज हार पर प्रभारियों से रिपोर्ट जुटाना है। उन्होंने पार्टी के सभी प्रभारियों से लोकसभा चुनाव में मिली हार पर रिपोर्ट मांगी, जिसकी समीक्षा होगी। दूसरे प्लान के तहत, कांग्रेस ऊपर से लेकर नीचे तक यानी कि बूथ स्तर पर अपनी हार की वजहें तलाशेगी। स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया लेने से लेकर नेताओं से इसमें प्रतिक्रिया ली जाएगी।
वहीं, तीसरी योजना के तहत राहुल की पार्टी कार्यशैली और संगठन में बदलाव पर सोचेगी। वरिष्ठों से बातचीत और आपसी सहमति के बाद उस पर अमल भी संभव है। आगे चौथे प्लान में यह जाना जाएगा कि आखिर गलती कहां और कैसे हुई, जबकि पांचवें और आखिरी प्लान का मकसद पाई गई सभी कमियों को दूर कर नए और सकारात्मक चीजों को अपनाकर बदलाव में जुटना होगा।
राजनीतिक जानकारों के हवाले से यह भी कहा गया कि कांग्रेस अंदरखाना आने वाले दिनों में ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ के रास्ते पर बढ़ता नजर आ सकता है, क्योंकि बीजेपी ने इस चुनाव में उसी के आधार पर अच्छा-खासा जनादेश हासिल किया। बता दें कि 542 सीटों पर हुए आम चुनाव में बीजेपी को अपने दम पर 303 और एनडीए को 353 सीटें हासिल हुई थीं।
वहीं, कांग्रेस के खाते में महज 53 लोकसभा सीटें ही आ सकी थीं। हालांकि, इससे पहले 2018 के अंत में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने हिंदी पट्टी के तीन बड़े राज्यों में किला फतह किया था, जिसमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में उसकी सरकार बनी थी।