Shashi Tharoor Remark- Uneven Playing Field”: कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए होने जा रहे मतदान से पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता और उम्मीदवार शशि थरूर ने गुरुवार को भेदभाव का आरोप लगाकर नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने कहा कि पार्टी के भीतर उम्मीदवारों के साथ समान व्यवहार नहीं किया जा रहा है। उन्होंने इसे “गैरबराबरी का खेल का मैदान” कहते हुए आरोप लगाया कि दोनों लोगों के साथ अलग-अलग तरह का व्यवहार किया जा रहा है। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के लिए चुनाव सोमवार, 17 अक्टूबर को देश भर में होने वाला है, और मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर चुनाव लड़ने के लिए एक दूसरे के खिलाफ खड़े हैं।

अपनी “गैरबराबरी का खेल का मैदान” टिप्पणी पर, शशि थरूर ने ट्वीट करके कहा, “… कई पीसीसी में नेताओं ने खड़गे साहब का स्वागत किया और उनसे मुलाकात की। मेरे लिए ऐसा नहीं किया गया था। मैं पीसीसी का दौरा किया, लेकिन पीसीसी प्रमुख उपलब्ध नहीं थे। मै शिकायत नहीं कर रहा हूं, लेकिन क्या आपको व्यवहार में फर्क नहीं दिख रहा?”

कांग्रेस चुनाव प्राधिकरण के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री ने बुधवार (12 अक्टूबर) को कहा कि कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए होने जा रहे मतदान में पूरी पारदर्शिता रहेगी। थरूर ने कहा, “मैं मिस्त्री साहब को दोष नहीं दे रहा हूं, लेकिन व्यवस्था में खामियां हैं और 22 साल से चुनाव नहीं हुए।”उन्होंने आरोप लगाया कि कई प्रदेश अध्यक्ष और नेता खड़गे का समर्थन करने के लिए पीसीसी पहुंचे लेकिन उनके पहुंचने पर कोई नेता उपलब्ध नहीं था।

थरूर ने कहा कि यह ‘मिस्त्री जी’ नहीं बल्कि कांग्रेस के बड़े नेता हैं, जो पक्षपाती हैं। उन्होंने कहा, “जब मैं गैरबराबरी के खेल मैदान की बात कहता हूं तो यह मिस्त्री जी के लिए नहीं बल्कि पार्टी के बड़े नेताओं के लिए होता है। आप देखिए, मैं दिल्ली पीसीसी में भी यही काम कर रहा हूं। अगर बड़े नेता दो उम्मीदवारों के बीच अंतर कर रहे हैं, तो यह कितना सही है?” उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा, “डरो मत, जैसा कि राहुल गांधी कहते हैं!!! मैं पार्टी कार्यकर्ताओं से कहता हूं कि डरो मत और वोट करो!”

कांग्रेस अध्यक्ष पद के उम्मीदवार शशि थरूर के “गैरबराबरी का खेल मैदान” वाली टिप्पणी पर दूसरे उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “…हम भाई हैं। कोई अलग तरीके से बोल सकता है, मैं इसे अलग तरीके से कह सकता हूं। हमारे बीच कोई अंतर नहीं है।”

उन्होंने कहा, “मैं एक कार्यकर्ता से यहां तक पहुंचा हूं तो इसका मतलब है कि लोग मुझे चाहते हैं और जब लोग चाहते हैं तो माहौल बनता है और जब माहौल बनता है तो पार्टी को शक्ति मिलती है।”