CWC Meeting: अहमदबाद में 8 अप्रैल को कांग्रेस के 84वें राष्ट्रीय अधिवेशन का पहला दिन था। इस दौरान पार्टी की कमियों से लेकर संगठन और उसके फ्यूचर रोडमैप पर बात हुई। इस दौरान हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। पार्टी नेताओं ने खुलकर बीजेपी का विरोध करने का प्लान बताते हुए धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रीय सद्भाव की वकालत की है।
राष्ट्रवाद हमेशा से ही बीजेपी के लिए एक अहम राजनीतिक मुद्दा रहा है और इसी पर पार्टी बीजेपी को घेरती रही है। इस पर कांग्रेस ने भी अपना रुख स्पष्ट किया और बीजेपी को छद्म राष्ट्रवादी तक बता दिया। इतना ही नहीं, पार्टी के मुख्य एजेंडों में सामाजिक न्याय और जातिगत जनगणना के आधार पर आरक्षण देना भी है।
कांग्रेस पार्टी के मसौदे में क्या-क्या?
AICC सत्र में अपनाए जाने वाले प्रस्ताव के मसौदे पर चर्चा की गई, इसे कांग्रेस द्वारा न्याय पथ कहा जाता है। इंडियन एक्सप्रेस द्वारा देखा गया मसौदा कुछ मामलों में अलग है। यह आस्था के सवाल पर एक छोटा दृष्टिकोण है। इसके अलावा राष्ट्रवाद की अवधारणा को भी इस मसौदे में परिभाषित किया गया है और यह भी स्पष्ट करता है कि पार्टी राष्ट्रवाद के मामले में अडिग रहेगी।
इस मामले में सूत्रों ने बताया कि सीडब्ल्यूसी की बैठक में अपने हस्तक्षेप में राहुल गांधी ने जोरदार ढंग से तर्क दिया कि पार्टी को ओबीसी तक अपनी पहुंच बढ़ानी होगी और उन्हें उनके हितों की रक्षा करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। उन्होंने कहा कि पार्टी को निजी क्षेत्र में वंचित वर्गों के लिए आरक्षण की मांग करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछड़े, अत्यंत पिछड़े और सबसे पिछड़े समुदायों तक पहुंच बनाकर कांग्रेस उत्तर प्रदेश में चुनावी वापसी भी कर सकती है।
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शशि थरूर ने दिए सुझाव
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि लोकसभा सांसद शशि थरूर ने पार्टी को उन मतदाताओं को आकर्षित करने की आवश्यकता के बारे में बात की, जो कांग्रेस को वोट देते थे, लेकिन पिछले तीन चुनावों में इसे छोड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि यही एकमात्र तरीका है, जिससे पार्टी 2014 से प्राप्त 19-20% वोट शेयर से आगे बढ़ सकती है।
थरूर का यह भी मानना है कि पार्टी को राष्ट्र के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण को स्पष्ट करना चाहिए और इस बारे में विश्वसनीय कथन प्रस्तुत करना चाहिए कि अगर वह सत्ता में आती है तो वह क्या करेगी, न कि नकारात्मकता में फंसना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को उम्मीद और आकांक्षाओं की पार्टी बनने की जरूरत है, जो भारतीयों के हितों को ऊपर रखने का एजेंडा लेकर चलेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अतीत की नहीं बल्कि भविष्य की पार्टी होना चाहिए।
राष्ट्रीय सद्भाव में किन बातों का जिक्र
CWC के एक मसौदे में राष्ट्रीय सद्भाव का एक सेक्शन है। इसमें कहा गया है कि भारत का विशिष्ट चरित्र इसकी बहुलवादी संस्कृति, अद्वितीय विविधता और समन्वयकारी गंगा-जमुनी तहजीब में निहित है। न केवल भारतीय संस्कृति ने सदियों से विभिन्न दर्शन, विचारों और विश्वासों को अपनाया है, बल्कि संविधान ने प्रत्येक नागरिक को अपनी आस्था और विश्वास का स्वतंत्र रूप से पालन करने का अधिकार दिया है। भारतीय संविधान का मूलभूत सिद्धांत गैर-भेदभाव है, चाहे वह धर्म, जाति, भाषा, निवास स्थान, पोशाक या भोजन के आधार पर हो। यह कांग्रेस पार्टी की विचारधारा का मूल है।
बीजेपी पर लगाया बांटने की राजनीति करने का आरोप
इस ड्राफ्ट में कहा गया है कि बीजेपी सरकार और उसके सहयोगी इस मूल राष्ट्रीय भावना को खंडित करने, विभाजन करने और दो हिस्सों में बांटने, हिंदू बनाम मुस्लिम को खड़ा करके धर्म के आधार पर विभाजन को बढ़ावा देने, भाषाई विभाजन पैदा करने और विभाजन पैदा करने के लिए काम कर रहे हैं। इसमें कहा गया कि बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकारें धार्मिक टकराव और अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों और ईसाइयों पर हमलों को बढ़ावा देती है। धर्मांतरण विरोधी कानून और वक्फ बोर्ड पर कानून में संशोधन इस ध्रुवीकरण रणनीति का हिस्सा हैं।
इसके अलावा कांग्रेस पार्टी के इस मसौदे में जोर दिया गया है कि सामाजिक न्याय कांग्रेस का वैचारिक आधार है। पार्टी पिछले कुछ समय से सामाजिक न्याय का मंत्र जप रही है और अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी), ओबीसी और अल्पसंख्यकों के लिए पार्टी के ढांचे को खोलने की कसम खा रही है। बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने की। बैठक में सोनिया गांधी , राहुल गांधी, पार्टी के मुख्यमंत्री और देशभर के शीर्ष नेता शामिल हुए थे।
OBC आरक्षण का जिक्र
प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि यह कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार थी जिसने 1993 में मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू किया और ओबीसी को 27% आरक्षण दिया। उस समय पीवी नरसिम्हा राव की सरकार थी, लेकिन मसौदे में उनका नाम नहीं था। पार्टी की राष्ट्रीय जाति जनगणना की मांग को दोहराते हुए इसमें कहा गया है कि इतना ही नहीं, कांग्रेस सरकार ने 2006 में मौलिक अधिकारों के अध्याय में अनुच्छेद 15(5) जोड़कर एक बार फिर इतिहास लिखा और ओबीसी को शैक्षणिक संस्थानों में 27% आरक्षण दिया।
सरदार पटेल और नेहरू के संबंधों का जिक्र
वहीं गुजरात में हो रहे इस अधिवेशन में पार्टी ने सरदार वल्लभभाई पटेल पर भी अलग से प्रस्ताव पारित किया। अपने संबोधन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कई राष्ट्रीय नायकों के खिलाफ एक सुनियोजित साजिश की बात कही। उन्होंने कहा कि देश में 140 वर्षों तक सेवा और संघर्ष का गौरवशाली इतिहास रखने वाली कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है। यह काम वे लोग कर रहे हैं जिनके पास अपनी उपलब्धियों के तौर पर दिखाने के लिए कुछ नहीं है।
कांग्रेस पार्टी ने सरदार पटेल और पंडित जवाहर लाल नेहरू के संबंधों को लेकर अपने मसौदे में लिका है कि उनके पास स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान बताने के लिए कुछ नहीं है। वे सरदार पटेल और पंडित नेहरू के बीच के संबंधों को इस तरह दिखाने की साजिश करते हैं जैसे दोनों नायक एक-दूसरे के विरोधी थे। जबकि सच्चाई यह है कि वे एक ही सिक्के के दो पहलू थे। कई घटनाएं और दस्तावेज उनके मधुर संबंधों के गवाह हैं।