किसान आंदोलन को 100 दिन से ज्यादा हो चुके हैं। इस आंदोलन में अब तक करीब 250 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद भी किसान आंदोलन का कोई समाधान निकलता नहीं दिख रहा है। इसी मुद्दे को लेकर कांग्रेस सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार संसद में किसानों के लिए शोक संदेश का एक शब्द भी कहने नहीं दे रही है।
टीवी चैनल न्यूज 24 पर दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि राज्यसभा में मृतक सांसदों के शोक संदेश के बाद जब मैंने सभापति जी से आंदोलनकारी किसानों के लिए भी शोक संदेश पढ़े जाने का आग्रह किया तो उन्होंने इस मांग को ही ख़ारिज कर दिया। दीपेन्द्र ने कहा कि मैंने सभापति जी से आग्रह किया कि अगर सरकार का कोई मंत्री किसानों के लिए संवेदना नहीं व्यक्त करना चाहता है तो संसद या विपक्षी दल के सांसद ही शोक संदेश पढ़ देंगे लेकिन उन्होंने मेरी इस मांग को सिरे से ही ख़ारिज कर दिया।
शहीद किसानों के प्रति सरकार के मन में कोई सहानुभूति नहीं है: Deepender Hooda@DeependerSHooda @iammanish1212 #FarmersProtest pic.twitter.com/V6boRZsuvo
— News24 (@news24tvchannel) March 8, 2021
इसके अलावा दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि सरकार छोटे से हादसे पर भी संवेदना व्यक्त करती है। पिछले दिनों पश्चिम बंगाल में हुई नाव दुर्घटना में भी सरकार ने संवेदना व्यक्त की और आर्थिक पैकेज की घोषणा भी की। हम सरकार के इस कदम का स्वागत करते हैं लेकिन शहीद किसानों के प्रति सरकार के मन में कोई सहानुभूति नहीं है। सरकार ने पहले किसानों के आंदोलन को ख़ारिज कर दिया और अब उनके कुर्बानियों को भी नकार रही है। सरकार ने आज जिस तरह से राज्यसभा में शहीद किसानों के प्रति रवैया दिखाया है उससे देशवासियों के मन में चोट लगी है।
दीपेन्द्र हुड्डा ने सरकार से दोबारा किसान संगठनों से बातचीत करने का भी आग्रह किया। दीपेन्द्र ने कहा कि पहले भी सरकार के द्वारा ही बातचीत बंद कर दी गई थी। इसलिए अब सरकार को बड़ा दिल दिखाते हुए एक बार फिर से किसान संगठनों को बातचीत के लिए बुलाना चाहिए। ज्ञात हो कि अबतक करीब 12 बार किसान संगठनों और सरकार के बीच बात-चीत हो चुकी है लेकिन इसके बावजूद भी गतिरोध जारी है।
आपको बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार अबतक करीब 250 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है। इनमें से करीब 200 किसान पंजाब के हैं। किसान संगठनों ने इन मौतों को हत्या करार दिया है। किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार की उदासीनता की वजह से इन किसानों की मौत हुई है।