कांग्रेस के एक मुखपत्र में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और सोनिया गांधी के प्रति आलोचनात्मक रुख रखने वाले लेखों के प्रकाशन से भारी शर्मिंदगी के बाद पार्टी की मुंबई इकाई ने मंगलवार कहा कि लेखों का प्रकाशन और मीडिया को उन्हें लीक किया जाना शहर इकाई को नुकसान पहुंचाने की इच्छा रखने वाले लोगों की करतूत हो सकती है। मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस कमेटी (एमआरसीसी) के सूत्रों ने कहा, ‘हां, पार्टी नेतृत्व को इस संदेह से अवगत करा दिया गया है कि नेहरू और सोनिया को खराब तरह से चित्रित करने वाले लेखों को शामिल करने और लीक करने के पीछे मुंबई इकाई को नुकसान पहुंचाने की इच्छा रखने वाले और असंतुष्ट तत्वों का हाथ हो सकता है।’’
सूत्रों ने बताया कि एआईसीसी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व मुंबई इकाई की ओर से मिले स्पष्टीकरण से संतुष्ट होकर इस विषय को समाप्त मान रहा है। जब पूछा गया कि क्या इस तरह की स्थिति के कारणों का पता लगाने के लिए कोई आंतरिक जांच शुरू की गयी है तो सूत्रों ने कहा, ‘संपादकीय सामग्री के समन्वयक को हटा दिया गया है और मामला वहीं समाप्त हो गया।’
हालांकि प्रदेश पार्टी प्रवक्ता अनंत गाडगिल ने कहा कि नेहरू पर लेख का प्रकाशन भारतीय राजनीति के कुछ तत्वों द्वारा यह बात प्रसारित करने के सोचे-समझे अभियान का हिस्सा लगता है कि नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल के बीच रिश्ते विवाद भरे रहे थे। कांग्रेस के 131 वें स्थापना दिवस से पहले इस तरह के लेखों के प्रकाशन से पार्टी को बड़ी असहज स्थिति का सामना करना पड़ा जिनमें कश्मीर और चीन पर नेहरू की नीति पर सवाल खड़े किए गए हैं और दावा किया गया है कि सोनिया गांधी के पिता फासीवादी सैनिक थे।
पार्टी मुखपत्र ‘कांग्रेस दर्शन’ के संपादक और एमआरसीसी के प्रमुख संजय निरुपम ने सोमवार लेखों के प्रकाशन के लिए खेद जताते हुए कहा था कि इस गलती की भरपाई नहीं की जा सकती। निरुपम के करीबी सूत्रों ने कहा था कि उनके प्रतिद्वंद्वियों ने आंतरिक पत्रिका के लेखों को मीडिया को लीक कर दिया ताकि उन्हें निशाना बनाया जा सके। निरुाम ने संपादकीय सामग्री के समन्वयक सुधीर जोशी को पहले ही हटा दिया है जो एक फ्रीलांस पत्रकार हैं।
‘कांग्रेस दर्शन’ की शुरुआत पार्टी की नीतियों और समृद्ध विरासत से पार्टी कार्यकर्ताओं को अवगत कराने के लिए उस दौरान की गई थी, जब 2007 से 2011 के बीच कृपाशंकर सिंह मुंबई इकाई के अध्यक्ष थे। पत्रिका का प्रकाशन चार साल पहले रोक दिया गया था जिसे निरुपम ने इस साल फिर से शुरू किया जो खुद पत्रकार रह चुके हैं। निरुपम ने कहा, ‘मैंने दो महीने पहले हिंदी संस्करण को फिर से शुरू करने का फैसला किया था। पहला अंक नवंबर में आया था।’
उन्होंने कहा, ‘पहले हमने मराठी संस्करण में छपी सामग्री का अनुवाद कराने के बारे में सोचा लेकिन जोशी ने स्वतंत्र लेखों के योगदान में रुचि जताई।’ निरुपम के मुताबिक पत्रिका के संपादकीय बोर्ड का पुनर्गठन किया जाएगा और वह छपने वाली सामग्री पर व्यक्तिगत रूप से नजर रखेंगे। ‘कांग्रेस दर्शन’ में छपे दो लेखों में से एक में ‘कश्मीर, चीन और तिब्बत संबंधी मसलों’ के लिए नेहरू को जिम्मेदार ठहराया गया है तो दूसरे लेख में पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी के पिता को लेकर विवादास्पद टिप्पणियां की गई हैं।
अजीबोगरीब बात यह है कि इस बार के अंक का मुख्य केंद्र बिंदु सोनिया द्वारा पार्टी को दी गई सेवाओं तथा कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद से उनकी उपलब्धियों को लेकर था। पत्रिका के मुख्य पृष्ठ पर सोनिया गांधी की तस्वीर भी है। पत्रिका का एक लेख देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के मकसद छपा है, जिसमें नेहरू और पटेल के बीच के संबंधों को ‘तनावपूर्ण’ बताया गया है।
लेख में 1950 में कथित तौर पर पटेल के लिखे एक पत्र का हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने तिब्बत को लेकर चीन की नीति के खिलाफ नेहरू को आगाह करते हुए चीन को ‘विश्वासघाती और भविष्य में भारत का दुश्मन बताया था।’ इसके अनुसार, ‘अगर वह (नेहरू ) पटेल की बात सुनते तो आज कश्मीर, चीन, तिब्बत और नेपाल की समस्याएं नहीं होतीं। पटेल ने कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र संघ में उठाने के नेहरू के कदम का भी विरोध किया था और नेहरू नेपाल पर पटेल के विचारों से सहमत नहीं थे।