UP Bus Controversy: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने हाल ही में यूपी सरकार को प्रवासी मजदूरों को उनके घर छोड़ने के मुद्दे पर मदद की पेशकश की थी। प्रियंका ने मदद के लिए 1000 बसें देने का वादा किया था, जिस पर अब राजनीति गरमा गई है। खुद कांग्रेस की विधायक ने ही अपनी पार्टी और प्रियंका गांधी पर निशाना साधा है। रायबरेली सदर क्षेत्र से विधायक अदिति सिंह ने कहा है कि आपदा के वक्त ऐसी निम्न सियासत की क्या जरूरत, एक हजार बसों की सूची भेजी, उसमें भी आधी से ज्यादा बसों का फर्जीवाड़ा, 297 कबाड़ बसें, 98 आटो रिक्शा व एबुंलेंस जैसी गाड़ियां, 68 वाहन बिना कागजात के, ये कैसा क्रूर मजाक है, अगर बसें थीं तो राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र में क्यों नहीं लगाईं।
अदिति यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने ट्वीट में आगे कहा, “कोटा में जब यूपी के हजारों बच्चे फंसे थे तब कहां थीं ये तथाकथित बसें, तब कांग्रेस सरकार इन बच्चों को घर तक तो छोड़िए, बॉर्डर तक ना छोड़ पाई, तब श्री योगी आदित्यनाथ जी ने रातों रात बसें लगाकर इन बच्चों को घर पहुंचाया, खुद राजस्थान के सीएम ने भी इसकी तारीफ की थी।
बसों के मामले में क्यों हो रही सियासत?
दरअसल, कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के सचिव संदीप सिंह ने योगी सरकार को पत्र भेजकर प्रवासी मजदूरों को लाने-ले जाने के लिए 1000 बसें चलाने का आग्रह किया था। लेकिन यूपी सरकार ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि दी गई बसों की लिस्ट में गड़बड़ है। सरकार के मुताबिक, उनमें से कई पंजीकरण नंबर दोपहिया, तीन पहिया और कारों के हैं। लेकिन कांग्रेस ने इसका खंडन किया। कांग्रेस के मुताबिक बसें राजस्थान -उप्र सीमा पर खड़ी हैं और उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में प्रवेश की अनुमति का इंतजार कर रही हैं।
कांग्रेस का कहना है कि योगी सरकार जानबूझकर प्रवासियों की मदद नहीं करना चाहती। अब इस मुद्दे पर राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने भी बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस प्रवासी मजदूरों के लिए बसों और खाने की व्यवस्था कर रही है, तो सरकारों को इसका स्वागत करना चाहिए। बॉर्डर पर परमिशन न देना। नेताओं को गिरफ्तार करना और इस मामले पर राजनीति करना, क्या यह ठीक है? यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यूपी सरकार बसों को आने नहीं दे रही है।