कांग्रेस पार्टी की ओर से रविवार को 10 राज्य सभा उम्मीदवारों की सूची जारी की गई। इसके बाद से कांग्रेस पार्टी में घमासान मचाना शुरू हो गया है। टिकट वितरण से नाखुश पार्टी के बड़े नेताओं का कहना है उदयपुर चिंतन शिविर में की गई घोषणाओं को पार्टी ने दो हफ्तों के अंदर ही तोड़ दिया है।
कांग्रेस की ओर से आने वाले राज्य सभा चुनावों के लिए सात राज्यों से 10 उम्मीदवारों को उतारा है। इसमें गांधी परिवार के खास माने जाने वाले पी चिदंबरम और जयराम रमेश को जगह दी गई है और गांधी परिवार के खिलाफ मुखर माने जाने वाले G-23 के सदस्यों जैसे गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा को टिकट देने से साफ इनकार कर दिया है।
पार्टी की ओर टिकट वितरण को लेकर यह तर्क दिया दिया जा रहा है कि सीमित संख्या में नेताओं को राज्य सभा भेजा जा सकता है। सभी को खुश रखना संभव नहीं है। वहीं, जो नेता टिकट वितरण से खुश नहीं है उनका कहना है कि पार्टी ने उदयपुर में हुई घोषणा को उल्लंघन किया है।
उदयपुर चिंतन शिविर में हुई बड़ी घोषणाओं में एक यह थी कि पार्टी ने ‘एक परिवार एक टिकट’ (one family one ticket) देने का निर्णय किया था। लेकिन अगर परिवार के किसी दूसरे सदस्य अन्य सदस्य को टिकट चाहिए, तो उसे राजनीतिक रूप से एक्टिव और संगठन में काम करने का कम से कम पांच साल का अनुभव होना चाहिए। कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि पार्टी की ओर से यह शर्त तोड़ दी गई क्योंकि पी चिदंबरम (जिनका बेटा कार्ति चिदंबरम लोकसभा से सांसद है) और प्रमोद तिवारी (जिनकी बेटी आराधना मिश्रा उत्तर प्रदेश से एमएलए है) उनको टिकट दिया गया।
कांग्रेस नेता ने टिकट वितरण पर सवाल उठाते हुए कहा कि “अजय माकन जो दिल्ली से है, उन्हें हरियाणा से टिकट दिया गया है और जो रणदीप सुरजेवाला जो हरियाणा से है, उन्हें राजस्थान से टिकट दिया गया है। मुकुल वासनिक जो कि महाराष्ट्र से है, उन्हें राजस्थान से टिकट दिया गया है और इमरान प्रतापगढ़ी जो उत्तर प्रदेश से है, उन्हें महाराष्ट्र से टिकट दिया गया है जबकि उनका महाराष्ट्र से कोई भी नाता नहीं है। यह लिस्ट एक मजाक है।”