तेज तर्रार छात्र नेता कन्हैया कुमार को कांग्रेस पार्टी ने अपनी छात्र शाखा नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया है। 17वीं लोकसभा के लिए 2019 में हुए चुनाव में वह बेगुसराय से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के टिकट पर चुनाव भी लड़ चुके हैं। हालांकि वह भाजपा के गिरिराज सिंह से हार गये थे। इससे पहले वह 2015 में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में पढ़ाई के दौरान छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव जीते थे। उस वक्त वह एआईएसएफ में थे। जेएनयू में एआईएसएफ से छात्र संघ अध्यक्ष बनने वाले वे पहले छात्र नेता थे।

कांग्रेस सांसद और महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी सूचना में बताया गया है कि पार्टी अध्यक्ष ने कन्हैया कुमार को नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया का प्रभारी नियुक्त किया है। 29 सितंबर 2021 को वह दिल्ली में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गये थे।

कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही वह छात्र आंदोलन में सक्रिय हो गये थे

कन्हैया कुमार का जन्म बिहार के बेगुसराय में हुआ था। अपनी पढ़ाई के दौरान ही वह छात्र आंदोलनों में सक्रिय हो गये थे। पटना में कॉलेज ऑफ कॉमर्स से उन्होंने अपनी छात्र राजनीति की शुरुआत की। 2011 में सेंटर फॉर अफ्रीकन स्टडीज में एमफिल के लिए जेएनयू दिल्ली चले गए। 2019 में, उन्होंने ‘दक्षिण अफ्रीका में “डीकॉलोनाइजेशन एंड प्रोसेस ऑफ सोशल रिफॉर्म-1994-2015” विषय पर अपनी थीसिस के साथ पीएचडी पूरी की।

2015 में जेएनयू में छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गये

इससे पहले 2015 में उन्होंने कम्युनिस्ट पॉर्टी ऑफ इंडिया की छात्र ईकाई ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन (AISF) की सदस्यता ली। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गये। जेएनयू में ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन (AISF) उम्मीदवार के रूप में वह पहले छात्रसंघ अध्यक्ष थे।

2016 में कथित तौर पर देशविरोधी नारे लगाने के आरोप में उनपर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ था।

फरवरी 2016 में, कन्हैया कुमार को दिल्ली पुलिस ने जेएनयू परिसर में एक कार्यक्रम में देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया था। इसका आयोजन संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी की दूसरी बरसी मनाने के लिए जेएनयू के छात्रों ने किया था। हालांकि कन्हैया कुमार ने दावा किया था कि उन्होंने देश की अखंडता के खिलाफ कोई भी नारा नहीं लगाया था। इसके बावजूद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।

तब विपक्षी दलों, शिक्षकों, छात्रों और शिक्षाविदों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया जताई थी। इस मामले की सुनवाई के लिए जब उन्हें पटियाला हाउस कोर्ट लाया गया तो वहां पर उन पर हमला भी कर दिया गया था। 2 मार्च 2016 को कुमार को दिल्ली उच्च न्यायालय से 6 महीने के लिए अंतरिम जमानत मिल गई थी।