उत्तरप्रदेश सहित कई भाजपा शासित राज्यों में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर सरकार के द्वारा उठाए जा रहे कदम पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सवाल उठाया है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा है कि जनसंख्या नियंत्रण का मुद्दा उठाने के पीछे भाजपा की राजनीतिक मंशा है और इसके जरिए वह एक समुदाय विशेष को निशाना बनाना चाहती है।
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने यह भी कहा कि अगले 20 वर्षों में भारत के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती यह होगी कि उसे बड़े स्तर पर बुजुर्ग आबादी होने की स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि जनसंख्या वाली बहस पूरी तरह से गलत है क्योंकि ज्यादातर राज्यों ने प्रजनन की प्रतिस्थापन दर को हासिल कर लिया है।
इसके अलावा थरूर ने यह भी कहा कि भाजपा एक समुदाय विशेष को निशाना बनाने के लिए जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे को उठा रही है। यह कोई संयोग नहीं है कि जिन उत्तर प्रदेश, असम और लक्षद्वीप में जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे को जोर शोर से उठाया जा रहा है, हर कोई जानता है कि भाजपा का इरादा किस ओर है। साथ ही उन्होंने कहा कि हिंदुत्ववादी ताकतों ने जनसंख्या को लेकर ठीक से जानकारी हासिल नहीं की है। उनका मकसद सिर्फ राजनीतिक और सांप्रदायिक है।
शशि थरूर के अलावा कांग्रेस से राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने भी जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे को लेकर मोदी सरकार को निशाने पर लिया। जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए लिखा कि अब तक भारत के अधिकांश राज्यों ने प्रजनन क्षमता के प्रतिस्थापन स्तर को हासिल कर लिया है। 2026 तक झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश भी ऐसा कर लेंगे, जिसमें सबसे अंतिम राज्य बिहार भी 2030 तक कर लेगा।
इसके अलावा जयराम रमेश ने कहा कि मुझे संदेह है कि भाजपा में ज्यादातर लोग इस बुनियादी तथ्य से अवगत हैं, जो मोदी सरकार द्वारा जुलाई 2019 में संसद में पेश किए गए अपने 2018-19 के आर्थिक सर्वेक्षण में दर्शाया गया था। आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 में मोदी सरकार के अपने अनुमान से कुछ राज्यों को 2031 तक बढ़ती वृद्ध – आबादी के लिए तैयार रहना होगा ना कि बढ़ती जनसंख्या के लिए। यह महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए मौजूदा नीतियों, परिवार नियोजन कार्यक्रमों और सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों से प्रभावित होगा।