कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने देश में मॉब लिंचिंग की बढ़ रही घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है। इन घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता खुर्शीद ने कहा कि छोटे शहरों और और दिल्ली के गांवों में भी भय के माहौल में रह रहे हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि देश के हर व्यक्ति की यह जिम्मेदारी है कि वह इस डर को खत्म करने में सहयोग करे।
समाचार एजेंसी से बातचीत में खुर्शीद ने कहा, ‘मैं सोचता हूं कि दिल्ली के इलाकों जहां हम रह रहे हैं या काम करते हैं, डर का माहौल है। छोटे शहरों और गांवों में भी लोग डर के माहौल में रह रहे हैं। यह हर भारतीय की जिम्मेदारी है कि वह इस डर को खत्म करे।’ उन्होंने यह भी कहा कि इन घटनाओं के पीछे षड्यंत्र के साथ ही संर्कीण सोच काम करती है।
खुर्शीद ने यह भी कहा कि कैसे एक सोच कई लोगों के दिमाग में रोप दिया जाता है और यदि कोई इसके पीछे मास्टरमाइंड है तो इस पर गहराई से विचार किए जाने की जरूरत है। मालूम हो कि पिछले कुछ समय से देश में मॉब लिंचिंग यानी भीड़ हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी देखने को मिली है। हाल ही में झारखंड में लोगों ने एक मुस्लिम युवक तबरेज को चोर समझ कर बुरी तरह से पीट दिया था। बाद में पुलिस हिरासत में उसकी तबीयत बिगड़ने के बाद इलाज के दौरान अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी।
Salman Khurshid,Congress on mob lynching incidents: I think there is no atmosphere of fear in areas of Delhi where we live or work, but yes there is a feeling in small towns and villages. It is the responsibility of every Indian to assuage these fears. pic.twitter.com/lQHM9d5blo
— ANI (@ANI) July 13, 2019
तबरेज के परिजनों ने पुलिस पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया था। लोगों का कहना था कि यदि पुलिस सही समय पर घटनास्थल पर पहुंच जाती तो तबरेज की जान बच सकती थी। खबर थी कि तबरेज अंसारी को घंटों तक पोल से बांध कर पीटा गया। उसे कथित रूप से ‘जय श्री राम’ और ‘जय हनुमान’ का नारा लगाने पर भी मजबूर किया गया। इस घटना के बाद देशभर में काफी तीखी आलोचना हुई थी।
इससे पहले साल 2015 में दादरी में 55 वर्षीय मोहम्मद इखलाक की घटना भी लोगों को आज भी याद है। इसमें गोतस्करी के शक में भीड़ ने अखलाक को पीट-पीट कर मार डाला था। वहीं झारखंड की घटना की कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी निंदा की थी। राहुल ने भाजपा शासित केंद्र और राज्य सरकार की ‘दमदार आवाजों’ की चुप्पी पर भी सवाल खड़े किए थे।

