संसद के शीतकालीन सत्र के लिए 12 सांसदों के निलंबन पर विवाद गर्मा गया है। राहुल गांधी ने सांसदों के निलंबन को लेकर सवाल पूछा कि उन्हें किस बात की माफ़ी मांगी जानी चाहिए।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि किस बात की माफ़ी? संसद में जनता की बात उठाने की? बिलकुल नहीं! दरअसल संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने निलंबित किए गए राज्यसभा के 12 विपक्षी सदस्यों को दुर्व्यवहार के लिए उच्च सदन के भीतर माफी मांगने के लिए कहा।
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने वीडियो ट्वीट कर कहा कि विपक्ष के लोग बार-बार सुषमा स्वराज और अरुण जेटली के एक बयान का उल्लेख करते हैं कि व्यवधान भी लोकतंत्र का हिस्सा है। लेकिन मेज पर चढ़ना और सुरक्षा में लगे लोगों को मारना असहनीय है। इसे माफ नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए सरकार को मजबूरी में निलंबन का यह प्रस्ताव सदन के सामने रखना पड़ा। लेकिन यदि ये 12 सांसद अभी भी अपने दुर्व्यवहार के लिए सभापति और सदन से माफी मांग लें तो सरकार भी उनके प्रस्ताव पर खुले दिल से सकारात्मक रूप से विचार करने को तैयार है।
सोमवार को आरंभ हुए संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को पिछले मॉनसून सत्र के दौरान अशोभनीय आचरण करने की वजह से वर्तमान सत्र के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया। उच्च सदन में उपसभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कल इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी।
निलंबित किए गए सदस्यों में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं। (भाषा इनपुट्स के साथ)