Priyanka Gandhi on Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़े हुए करीब एक हफ्ते से ज्यादा का टाइम बीत चुका है। वहां पर अंतरिम सरकार का गठन भी हो चुका है और इसका नेतृत्व मोहम्मद युनुस कर रहे हैं। हालांकि, हिंसा और आगजनी की घटनाएं रूकने का नाम नहीं ले रही हैं। कई हिंदू मंदिर और लोगों को भी नुकसान पहुंचाया गया है। इसी बीच, अब कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों की खबरें लगातार विचलित करने वाली हैं।
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि पड़ोसी देश बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर लगातार हमलों की खबरें काफी परेशान करने वाली हैं। किसी भी सभ्य समाज में धर्म, जाति, भाषा या पहचान के आधार पर भेदभाव, हिंसा और हमले अस्वीकार्य हैं। हमें उम्मीद है कि बांग्लादेश में जल्द हालात सामान्य होंगे और वहां की नवनिर्वाचित सरकार हिंदू, ईसाई और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के लिए सुरक्षा व सम्मान सुनिश्चित करेगी।
मायावती ने भी की सुरक्षा की मांग
केवल प्रियंका गांधी ही नहीं बल्कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक और हिंदू समाज के खिलाफ हो रहे अत्याचार को लेकर मायावती ने भी चिंता जाहिर की है। मायावती ने पोस्ट कर कहा कि बांग्लादेश में रह रहे हिंदू समाज और दूसरे अल्पसंख्यक चाहे वो किसी भी जाति व वर्ग के हों उन पर पिछले कुछ दिनों से हो रही हिंसा काफी दुखद और चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि इस मामले को केंद्र सरकार गंभीरता से ले और सही कदम उठाए। वरना इनका ज्यादा नुकसान ना हो जाए।
हिंसा का शिकार नहीं होने चाहिए अल्पसंख्यक- अखिलेश यादव
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि कोई भी समुदाय चाहे वह बांग्लादेश का अलग नजरियेवाला बहुसंख्यक हो या हिंदू, सिख, बौद्ध या कोई अन्य धर्म-पंथ-मान्यता माननेवाला अल्पसंख्यक, कोई भी हिंसा का शिकार नहीं होना चाहिए। भारत सरकार द्वारा इस मामले को इंटरनेशनल लेवल पर मानवाधिकार की रक्षा के रूप में सख्ती से उठाया जाना चाहिए। ये हमारी प्रतिरक्षा और आंतरिक सुरक्षा का भी अति संवेदनशील विषय है।
अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि विश्व इतिहास गवाह है कि अलग-अलग देशों में सत्ता के खिलाफ, उस समय की कसौटी पर, सही-गलत कारणों से हिंसक जन क्रांतियां, सैन्य तख्तापलट, सत्ता-विरोधी आंदोलन अलग-अलग कारणों से होते रहे हैं। ऐसे में उस देश का ही पुनरुत्थान हुआ है, जिसके समाज ने अपने सत्ता-शून्यता के उस उथल-पुथल भरे समय में भी अपने देशवासियों की जान-माल व मान की रक्षा करने में जन्म, धर्म, विचारधारा, संख्या की बहुलता-अल्पता या किसी अन्य राजनीतिक विद्वेष या नकारात्मक, संकीर्ण सोच के आधार पर भेदभाव न करके सकारात्मक-बड़ी सोच के साथ सबको एक-समान समझा और संरक्षित किया है। सबंधित खबर के लिए यहां क्लिक करें…