कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कई हाई कोर्ट में जजों और ट्रिब्यूनल के प्रमुखों के पद खाली होने को लेकर शनिवार को सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि यह सरकार इन रिक्तियों को नहीं भर पा रही है क्योंकि वह अपनी विचारधारा के साथ लगाव रखने वाले लोगों की तलाश कर रही है। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ट्वीट किया, “हाई कोर्ट के जजों के निर्धारित 1,080 पदों में 416 खाली हैं। न्यायाधिकरणों में बड़ी संख्या में जगह खाली हैं। कई ट्रिब्यूनल के प्रमुख के पद खाली हैं।”

उन्होंने सवाल किया कि मोदी सरकार सात साल से सत्ता में होने के बावजूद इन रिक्तियों को भर क्यों नहीं पा रही है या फिर इन रिक्तियों को भरने का इरादा क्यों नहीं कर रही है? चिदंबरम ने आरोप लगाया, “असली कारण यह है कि सरकार ऐसे लोगों की तलाश में है जो उनकी सोच और विचारधारा से लगाव रखते होंगे।”

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र पर कॉलेजियम की सिफारिशों बड़ी संख्या में खाली पदों को भरने की बात कही है। भारत के पूर्व सीजीआई इस मामले को लेकर कई बार बोल चुके हैं। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल में खाली पड़े पदों को लेकर सरकार का ध्यान दिलाया था।

कांग्रेस अक्सर संस्थानों से ऐसे लोगों के जोड़ने का आरोप लगाती रही है जिनकी वैचारिकता RSS-बीजेपी के करीब है। लेकिन यह पहला मौका है जब न्यायिक नियुक्तियों को सरकार के वैचारिक झुकाव से जोड़कर देखा गया है।

सुप्रीम कोर्ट और कई हाई कोर्टों में 2020 के बाद से कोई न्यायिक नियुक्ति नहीं हुई है। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस साल की शुरुआत में टिप्पणी की थी कि देश भर के हाई कोर्ट में रिक्तियों के कारण “संकट की स्थिति” पैदा हो गई है।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मदन वी. लोकुर ने हाल ही में इस विषय एक आर्टिकल लिखकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि यदि भर्तियां तुरंत नहीं गईं को ज्यूडिशरी में समस्याओं को ठीक करने में बहुत देर हो सकती है।

केंद्रीय कानून मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में इस समय जजों के आठ पद खाली हैं, दो जज जल्द ही रिटायर होने वाले हैं। सुप्रीम कोर्ट में 34 लोगों के काम करने की मंजूरी है लेकिन मौजूदा स्थिति में 26 लोग ही काम कर रहे हैं। (इनपुट भाषा से भी)