कांग्रेस कल अपना 139वां स्थापना दिवस मनाएगी।  लोकसभा चुनाव से पहले यह तारीख पार्टी के लिए काफी अहम मानी जा रही है। वजह है नागपुर में होने वाली ‘हैं तैयार हम’ मेगा रैली, जहां पार्टी के वरिष्ठ नेताओं सहित हर राज्य से कार्यकर्ता के पहुंचने की उम्मीद की जा रही है। 28 दिसंबर, 1885 को कांग्रेस की नींव रखी गई थी और तब से अब तक पार्टी ने कई मोड़ देखे हैं। कांग्रेस की वेबसाइट के मुताबिक ऐसा दूसरी बार हो रहा है जब कांग्रेस अपना स्थापना दिवस नागपुर में मनाने जा रही है। 

नागपुर, ऐसा शहर जिसकी पहचान का एक हिस्सा आरएसएस से जुड़ा है तो दूसरा भीम राव अंबेडकर से। इसी शहर में आरएसएस का मुख्यालय है और यही शहर है जहां बी आर अंबेडकर ने बोद्ध धर्म अपनाया था। 

मेगा रैली का आयोजन 

कांग्रेस लोकसभा चुनाव से पहले नागपुर की रैली से यह संदेश देने की कोशिश करने वाली है कि पार्टी आम चुनाव में उतरने के लिए पूरी तरह तैयार है। इस रैली की थीम भी ‘हैं तैयार हम’ रखी गई है। इस रैली में कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी सहित कई बड़े नेता शामिल होंगे। 

कांग्रेस के कुछ शुरुआती स्थापना दिवस

कांग्रेस की स्थापना 28 दिसंबर, 1885 को हुई थी। पहले अधिवेशन में बंबई के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में 72 समाज सुधारक, पत्रकार और वकील एकत्र हुए थे।

27 दिसंबर, 1886 को कांग्रेस का दूसरा अधिवेशन हुआ, यह दादाभाई नौरोजी के नेतृत्व में कोलकाता (तब कलकत्ता) में हुआ था। इस अधिवेशन में 434 प्रतिनिधियों की संख्या के साथ कांग्रेस ने देश भर में प्रांतीय कांग्रेस समितियाँ स्थापित करने का संकल्प लिया था।

26 दिसंबर, 1890 को अधिवेशन में अपने अध्यक्षीय भाषण में, फ़िरोज़शाह मेहता ने कहा, ‘मेरे विचार से, एक पारसी एक बेहतर और सच्चा पारसी है, जैसे एक मुसलमान या हिंदू एक बेहतर और सच्चा मुसलमान या हिंदू है, उतना ही अधिक वह उस भूमि से जुड़ा होता है जिसने उसे जन्म दिया है। , जितना अधिक वह इस धरती के सभी बच्चों के प्रति भाईचारे के रिश्ते और स्नेह में बंधा होता है, उतना ही अधिक वह देश के सभी मूल समुदायों की बिरादरी को पहचानता है।

26 दिसंबर 1892 को इलाहाबाद सत्र में कांग्रेस ने 1892 के भारतीय परिषद अधिनियम की आलोचना की, जिसे औपनिवेशिक सरकार ने हाल ही में लागू किया था। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम भारतीय लोगों को अपने प्रतिनिधि चुनने का अधिकार नहीं देता है।

26 दिसंबर, 1901 को हुआ अधिवेशन इस लिए खास माना जाता है उस वर्ष कलकत्ता सत्र में पहली बार महात्मा गांधी कांग्रेस के मंच पर उपस्थित हुए थे। 26 दिसंबर, 1917 को हुए अधिवेशन की खास बात यह थी कि उस वर्ष कलकत्ता अधिवेशन में कांग्रेस को पहली महिला अध्यक्ष एनी बेसेंट मिलीं।