असम में विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले कांग्रेस डरी नजर आ रही है। आशंका है- जोड़-तोड़ की। यही वजह है कि पार्टी ने अपने गठबंधन के लगभग 20 उम्‍मीदवारों को राजस्थान की राजधानी जयपुर में शिफ्ट कर दिया है। इसी बीच, राजस्‍थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेसी सरकार के ख‍िलाफ पहले से कुछ बागी विधायकों ने मोर्चा खोल रखा है। वहां एक महीने में करीब आठ विधायकों के तेवर बदल गए हैं।

सूत्रों के हवाले से अंग्रेजी समाचार चैनल NDTV ने शुक्रवार को बताया कि असम में विपक्षी गठबंधन ने लगभग 22 उम्मीदवारों को जयपुर शिफ्ट कर लिया। वहां उन्हें फेयरमॉन्ट होटल में रखा गया है, जहां पहले भी पार्टी जोड़-तोड़ के डर से अपने विधायकों को सुरक्षित रखती रही है। कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन को महाजोत भी कहा जा रहा है, जिसमें ज्यादातर मौलाना बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व वाली एआईयूडीएफ के हैं।

कांग्रेस के सीनियर नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला के हवाले से रिपोर्ट में आगे बताया गया, “बीजेपी चुनाव हारने के बाद से जब कांग्रेस को तोड़ने की कोशिश कर रही है, तब से ही यह ट्रेंड बन चुका है। यही वजह है कि वे (घटक दल) अपनी सुरक्षा चाहते हैं।”

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राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के चीफ व्हिप महेश जोशी ने समाचार एजेंसी ANI से कहा- हम आने वाले लोगों का ख्याल रखेंगे। हम न तो उनकी पार्टियां जानते और न ही यह कि वे कहां से आए हैं। यहां करीब 20 लोग हैं। कांग्रेस उनका खर्च उठाएगी। जब तक बीजेपी केंद्र में है, तब तक विधायकों को खरीदे जाने की आशंका बरकरार रहेगी। बता दें कि असम में तीन चरण में मतदान हुआ, जिसके लिए 27 मार्च से छह अप्रैल के बीच वोट डाले गए। वहीं, नतीजे दो मई को आएंगे।

उधर, राजस्थान में साल भर के बाद फिर से गहलोत सरकार के खिलाफ अपने ही विधायकों की नाराजगी देखने को मिलने लगी है। जानकारी के मुताबिक, बीते महीने में कांग्रेस के आठ विधायकों ने गहलोत सरकार के खिलाफ असंतोष जाहिर किया है। विधायक भरत सिंह ने कबीना मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोला, तो वहीं पूर्व मंत्री रमेश मीणा, विधायक वेद प्रकाश सोलंकी और मुरारी लाल मीणा भी राज्य सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर चुके हैं।