Lok Sabha Elections: गुजरात की अहमदाबाद पूर्व लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार रोहन गुप्ता ने सोमवार को कहा कि उन्होंने अपने पिता की स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए अपना नाम वापस ले लिया है। गुप्ता कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं। कांग्रेस ने 12 मार्च को उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की थी। इसमें गुप्ता को भी मैदान में उतारा था। इस लिस्ट में गुजरात के सात प्रत्याशियों के नाम शामिल थे।

यह कांग्रेस पार्टी के लिए दोहरा झटका है। पार्टी ने उन्हें बेहद विचार विमर्श के बाद और दूसरे सभी विवादों को दरकिनार करके चुना था। अब पार्टी को उनकी जगह किसी दूसरे उम्मीदवार को ढूंढना बेहद मुश्किल होगा। उनको दो साल पहले सोशल मीडिया टीम के प्रमुख पद से हटा दिया गया था। उनके परिवार के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के किसी करीबी के साथ संबंध सार्वजनिक हो गए थे।

12 मार्च को कांग्रेस द्वारा उनके नाम की घोषणा के बाद से सब कुछ खुशी-खुशी चल रहा था। इसको पार्टी द्वारा बीती बातों को भुलाने के तौर पर भी देखा जा रहा था। पीछे हटने से पहले गुप्ता ने बापूनगर में अपनी पहली सार्वजनिक बैठक के लिए बुधवार की तारीख फिक्स की थी। वहीं, 23 मार्च को उनके ऑफिस का उद्घाटन था और अपने अभियान को धार देने के लिए 100 सदस्यों की टीम बनाई गई थी।

रोहन गुप्ता के नाम वापस लेने का कारण

गुप्ता ने एक्स पर गुजरात कांग्रेस प्रमुख शक्ति सिंह गोहिल को लिखे पत्र की एक फोटो शेयर करते हुए ऐसा करने का फैसला किया। गुप्ता के पिता राजकुमार भी 40 साल से कांग्रेसी हैं। उन्होंने भी गोहिल को अपना इस्तीफा भेज दिया। राजकुमार ने 20 साल पहले अहमदाबाद पूर्व लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। अपने नाम वापस लेने और अपने पिता के इस्तीफे के बारे में पता चलने के बाद गुप्ता ने कहा कि मेरे पिता की तबीयत ज्यादा खराब हो रही थी। उन्होंने कहा कि कल, मैं एक बैठक में था जब मैंने सुना कि उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। मैंने उन्हें बुलाया और उन्हें समझाने की कोशिश की कि मुझे लड़ने दो, यह मेरी प्रतिष्ठा का मामला है। लेकिन वह मुझ पर चिल्लाए और बेहोश हो गए। राजकुमार 16 मार्च से आईसीयू में भर्ती हैं।

कांग्रेस पार्टी ने अपने पांच विधायक खोए

अपने खिलाफ कांग्रेस के कुछ नेताओं के हमले पर रोहन गुप्ता ने कहा कि किसी को मुझे सफाई देने की जरूरत नहीं है। मेरे पिता 40 साल से कांग्रेस पार्टी के साथ थे और मैं 15 साल से कांग्रेस पार्टी की सेवा कर रहा हूं। मैनें अपना काम पूरी प्रतिबद्धता के साथ किया है। कांग्रेस पार्टी पहले से ही अलग-थलग नजर आ रही है। 22 दिसंबर को हुए विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी अपने 17 विधायकों में से 5 को खो चुकी है। वलसाड के पूर्व विधायक और कांग्रेस नेता गौरव पंड्या ने कहा कि राजकुमार को सार्वजनिक रूप से उम्मीदवारी वापस लेने की बजाय उसे भरोसे में लेना चाहिए था।

कांग्रेस नेताओं ने मान लिया है कि पार्टी समय पर सही उम्मीदवारों को खोजने के बारे में पूरी तरह से निश्चित नहीं है। खासतौर पर उन नेताओं के बारे में जिनके बारे में लग रहा है कि वह नहीं पाला बदलेंगे। गुजरात सहित अन्य राज्यों की बाकी सीटों पर फैसला लेने के लिए मंगलवार को दिल्ली में हुई पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक किसी हल तक नहीं पहुंच सकी और स्थगित कर दी गई।

कांग्रेस के एक बड़े नेता ने गुजरात के पूर्व प्रमुख अर्जुन मोढवाडिया का उदाहरण देते हुए कहा कि कैसे पार्टी बड़े नामों को खो रही है। किसने सोचा होगा कि उनके जैसा कोई व्यक्ति भाजपा में शामिल होगा ? वे उन्हें पोरबंदर उपचुनाव के लिए टिकट दे सकते हैं, यहां तक ​​कि मंत्री पद भी दे सकते हैं, लेकिन फिर क्या?

हालांकि, दूसरे लोगों का मानना ​​है कि इसके लिए कांग्रेस दोषी है, जिसने मामले को टलने दिया। मोढवाडिया को उनके जाने से पहले लंबे समय तक उनका हक नहीं मिला था। जिस दिन उन्होंने पद छोड़ा था तो पंड्या ने कांग्रेस कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल को टैग करते हुए एक्स पर एक पोस्ट किया था। इसमें कहा गया कि जब नेतृत्व योग्यता को महत्व देता है और व्यक्तिगत पसंद और नापसंद के आधार पर कार्यकर्ताओं को त्याग देता है, तो संगठन को नुकसान होता है।

रोहन गुप्ता के पिता को भी मिली थी हार

कांग्रेस के एक पुराने नेता ने कहा कि राजकुमार को भी लगता था कि 2004 के लोकसभा चुनाव में अहमदाबाद पूर्व से उनकी हार कुछ हद तक अंदरूनी तोड़फोड़ के कारण हुई थी। वह कहते थे कि पार्टी के भीतर जिन लोगों की उन्होंने मदद की थी, उन्होंने उन्हें नीचे खींच लिया और उनकी हार पक्की कर दी। वह नहीं चाहते थे कि रोहन को भी ऐसा ही करना पड़े। राजकुमार उस समय बीजेपी के गढ़ वाली सीट जीतने के करीब भी नहीं पहुंचे थे। बीजेपी के पूर्व केंद्रीय मंत्री हरिन पाठक ने उन्हें 77,605 वोटों से हरा दिया था।

वहीं, दूसरे कांग्रेस नेता ने कहा कि राजकुमार का डर गलत नहीं है। 2001 में जब कांग्रेस ने पहली बार अहमदाबाद नगर निगम पर कब्जा किया था, राजकुमार नगरपालिका स्कूल बोर्ड के चुनाव के लिए खड़े हुए थे। लेकिन कांग्रेस के एक प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार ने जीत हासिल की। अपने बेटे को लेकर भी उनके मन में वही डर था।

रोहन गुप्ता ने किस विवाद का सामना किया

जून 2022 में रोहन गुप्ता को जिस विवाद का सामना करना पड़ा था, उसमें यह था कि उनकी पत्नी योगिता और भाई अर्पण सनबर्ड्स इंफ्राबिल्ड में भागीदार थे। एक कंपनी जिसके प्रमोटर अमित शाह के करीबी अजय पटेल थे। 2018 में उसी अजय पटेल ने अमित शाह के खिलाफ की गई टिप्पणी पर तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था। इसमें आरोप लगाया गया था कि अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक में बड़ी मात्रा में पैसों का लेन-देन हुआ था। इनमें अमित शाह भी एक थे। गुजरात कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि राजकुमार को यह चिंता थी कि उनके बेटे को टिकट दिए जाने के बाद मामले को फिर से उछाला जाएगा।