कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी के 84वें महाधिवेशन में खुद को पांडव और बीजेपी की तुलना कौरवों से की थी। उनके इस बयान के बाद सोशल नेटवर्किंग साइटों पर कांग्रेस और बीजेपी के समर्थक आपस में भिड़ गए हैं। उनमें खुद को पांडव साबित करने की होड़ मची है। दोनों दलों के समर्थकों के बीच जारी नोकझोंक का लोग भी मजे ले रहे हैं। दरअसल, भाजपा की कर्नाटक शाखा ने ट्वीट किया, ‘यदि आप वास्तव में पांडव होते तो कृष्णा आपको छोड़कर हमारी तरफ न आते।’ यहां पर कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे एसएम कृष्णा के भाजपा में शामिल होने की ओर संकेत किया गया था। कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई ने भाजपा को इसका जवाब दिया। पार्टी ने लिखा, ‘क्या कौरव का नेतृत्व अविवाहित ‘गंगा पुत्र’ (भीष्म) ने नहीं किया था!’ बता दें कि राहुल गांधी ने पार्टी अधिवेशन में कहा था, ‘हजारों साल पहले कुरुक्षेत्र की लड़ाई लड़ी गई थी। कौरव ताकतवर और अंहकारी थे। पांडव नम्र थे। वे सच्चाई के लिए लड़े थे। कौरवों की तरह बीजेपी और आरएसएस का काम सत्ता के लिए लड़ना है। पांडवों की तरह कांग्रेस सच्चाई के लिए लड़ रही है।’ अंग्रेजी और हिंदी में दिए भाषण में राहुल ने कहा था कि उन्हें सुनने वालों में तमिलनाडु से लेकर पूर्वोत्तर भारत तक के लोग हैं। नौजवानों से लेकर किसान तक शामिल हैं।

सविता राव ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए ट्वीट किया, ‘आपने उत्तर प्रदेश में जितनी सीटें जीती हैं, उससे ज्यादा तो लालू प्रसाद यादव के बच्चे हैं। आपकी पार्टी ने पिछले तीन महीनों में पांच राज्यों में हार चुकी है। भगवद गीता पढ़िए और कर्म के बारे में मौलिक जानकारी हासिल कीजिए।’ ईशान ने लिखा, ‘भाई तुम कांग्रेस की तरफ हो या बीजेपी की तरफ?’ अक्षिणी ने ट्वीट किया, ‘यह जानकर अच्छा लगा कि यूपी कांग्रेस भी टि्वटर पर मौजूद है क्योंकि उत्तर प्रदेश में तो कांग्रेस की मौजूदगी शून्य के बराबर है।’ देबू ने लिखा, ‘आपलोग तो हमेशा कहते रहते हैं कि मोदी विवाहित हैं, लेकिन राहुल गांधी नहीं। ऐसे में यह मजाक तो आपके लिए है।’ राजीव ने ट्वीट किया, ‘क्या जनेऊधारी इटालियन पुत्र कुंवारे नहीं हैं? वैसे भी पोस्ट डालने से पहले व्याकरण की जांच जरूर कर लें। इसे देख कर लगता है कि कैसे कांग्रेस ने दशकों तक उत्तर प्रदेश को पिछड़ा और निरक्षर बनाए रखी थी।’ सूश्रुत ने लिखा, ‘भाई लोग आप कब से महाभारत और रामायण पढ़ने लगे। आप धर्मनिरपेक्षता को कैसे नजरअंदाज कर सकते हैं? कृपा करके अन्य धर्मों की भावनाओं को ठेस न पहुंचाएं।’