दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना से संक्रमित जिन सात बच्चों की मौत नौ जनवरी से 12 जनवरी के बीच हुई है, वे अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त थे। जैन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दिल्ली में मौजूदा लहर में कोरोना संक्रमण से मरने वालों में से 75 फीसद से अधिक को टीका नहीं लगा था। जैन ने कहा कि संक्रमण दर भले बढ़ा है, लेकिन कुल मामलों में कमी आई है। वहीं अस्पताल में भर्ती होने वालों की दर भी स्थिर बनी हुई है।

दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, जिन तीन बच्चों की उन चार दिनों के दौरान मौत हुई, उनमें कोरोना के साथ-साथ अन्य गंभीर बीमारियां भी थी। इन बच्चों में से एक को संक्रमित पाए जाने के एक दिन बाद आठ जनवरी को लोकनायक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसकी नौ जनवरी को छोटी नसों में खून के थक्के बनने (डिसेमिनेटेड इंट्रावास्कुलर कोगुलेशन) के कारण मौत हो गई।

अधिकारी ने कहा कि दूसरे बच्चे को सात जनवरी को एलएनजेपी में भर्ती कराया गया था और अगले दिन की गई जांच में वह कोरोना से संक्रमित पाया गया। अधिकारी ने कहा वह बच्चा दिल की बीमारी से पीड़ित था और तीन दिन बाद यानी 10 जनवरी को उसकी मौत हो गई। जबकि तीसरे बच्चे को चाचा नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

अधिकारी ने बताया कि उसे छह जनवरी को चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था और भर्ती के अगले दिन संक्रमित पाया गया था। वह बच्चा खून की बीमारी थैलेसीमिया से पीड़ित था और 11 जनवरी को उसकी मौत हो गई। उन्होंने बताया कि बाकी अन्य चार बच्चों को भी कोरोना के साथ कोई न कोई अन्य बीमारी रही है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, नौ जनवरी से 12 जनवरी के बीच मरने वाले 97 कोविड रोगियों में से 70 का टीकाकरण नहीं हुआ था, जबकि 19 ने पहली खुराक ली थी। उनमें से केवल आठ लोगों को पूरी तरह से टीका लगाया गया था। यानी मरने वालों में केवल आठ लोग ही ऐसे थे जिनकी टीके के बाद भी मौत हुई।

जैन ने इन्हीं आंकड़ों के हवाले से कहा कि मरने वाले 90 फीसद लोगों को कैंसर और गुर्दे के रोग जैसी गंभीर बीमारियां थी। यहां तक कि 18 वर्ष से कम उम्र के सात मरीजों को भी अन्य गंभीर बीमारियां थीं। मंत्री ने यह भी कहा कि अस्पतालों में भर्ती होने वालों में इजाफा तेज नहीं हैं। हालांकि मामले बढ़ने की दर जारी है।