आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हुए कर्नल संतोष महाडिक (संतोष मधुकर घोरपडे) का उनके पुस्तैनी गांव पोगरवाडी में गुरुवार को पूरे सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। इससे पहले रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर ने शहीद कर्नल के अंतिम दर्शन किए और उनके परिवार को सांत्वना दी। पोगरवाडी और आरेदारे दो गांवों के हजारों लोगों ने अश्रुपूरित नयनों से शहीद कर्नल को अंतिम विदाई दी।
तिरंगे में लिपटा 39 साल के कर्नल महाडिक का शव सेना के विशेष विमान से पुणे लाया गया। इसके बाद सतारा के जिला अस्पताल और आरेदारे गांव में उनका शव अंतिम दर्शनों के लिए कुछ समय रखा गया। शव जब कर्नल महाडिक के मूल गांव पोगरवाडी में लाया गया तो आसपास के गांव से उनका अंतिम दर्शन करने आए हजारों लोगों की आंखें नम हो गर्इं। पोगरवाडीवासियों के लिए यह गर्व का दिन था क्योंकि उनके गांव का दूसरा घोरपडे शहीद हुआ था। इससे पहलेपोगरवाडी के अंकुश घोरपडे 1999 के करगिल युद्ध में शहीद हुए थे।
बुधवार को राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शहीद कर्नल के परिवार से मुलाकात कर सांत्वना के साथ आश्वासन दिया कि सरकार शहीद के परिवार की पूरी जिम्मेदारी उठाएगी। गुरुवार को कर्नल महाडिक के अंतिम दर्शन करने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता भी पहुंचे। मंगलवार को सीमा पार से घुसे आतंकवादियों से हाजी नाका के घने जंगलों में लड़ते हुए कर्नल महाडिक घायल हो गए थे। उन्हें हेलिकॉप्टर के जरिए श्रीनगर लाया गया, जहां इलाज के दौरान उनका निधन हो गया था।
सतारा जिले के पोगरवाडी में रहने वाले संतोष महाडिक पोगरवाडी के सरपंच रहे मुधकर घोरपडे के बेटे थे। उनके पिता का पिछले साल ही निधन हुआ था और इन दिनों संतोष की बहन शोभा घोरपडे पोगरवाडी की सरपंच हैं। संतोष सतारा सैनिक स्कूल में पढ़ाई करने के बाद सेना में भर्ती हुए और 41 राष्ट्रीय राइफल्स में कर्नल के पद तक पहुंचे। उनका वास्तविक नाम संतोष मधुकर घोरपडे था। आरेदारे गांव में रहनेवाली उनकी मौसी ने संतोष को गोद ले लिया था। कर्नल महाडिक की पत्नी ऊधमपुर के सैनिक स्कूल में शिक्षिका है। बुधवार को वे भी बच्चों के साथ सतारा आ गई थीं।
संतोष दिसंबर में पोगरवाडी आनेवाले थे और इसकी सूचना उन्होंने अपने भाई जयंत घोरपडे को दे दी थी। वे पोगरवाडी के विकास की योजना पर काम कर रहे थे और इसी सिलसिले में गांव के लोगों के साथ दिसंबर में विचार-विमर्श करना चाहते थे।
