उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने आज एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि ‘कुछ लेखक हमारे युवाओं को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं।’ योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सभी लेखकों की जिम्मेदारी है कि वो ये सुनिश्चित करें कि ऐसी स्थिति उत्पन्न ना हो। सीएम योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में 43वें ‘हिंदी सम्मान समारोह’ के दौरान उक्त बातें कहीं।

योगी आदित्यनाथ ने समारोह में अपने संबोधन के दौरान कहा कि ‘साहित्य समाज का दर्पण है। साहित्य में लोककल्याण का भाव होना चाहिए। जहां भी हम लेखनी को बांधने का प्रयास करेंगे, वहां समाज भ्रमित होगा। कुछ लेखक हमारे साहित्य को अलग-अलग कैंपों में बांटने का प्रयास कर रहे हैं, वो युवाओं को गुमराह कर रहे हैं। यह सभी लेखकों की जिम्मेदारी है कि वह ये सुनिश्चित करें कि ऐसी स्थिति उत्पन्न ना हो सके।’

योगी आदित्यनाथ कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के अध्यक्ष के रूप में कार्यक्रम में शामिल हुए। सीएम ने कार्यक्रम में कई साहित्यकारों को सम्मानित भी किया और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित की तारीफ करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज के समय में अगर राजनीति में कोई पूरा समय दे, लेकिन बाद में अगर कोई साहित्य में लिखना चाहे तो वह बहुत मुश्किल है पर हमारे विधानसभा अध्यक्ष ऐसा करने वालों में से एक हैं। उनका साहित्य में बड़ा योगदान है।

समारोह में साल 2018 का प्रतिष्ठित साहित्यिक सम्मान भारत भारती पटना की साहित्यकार-लेखिका डॉ. ऊषा किरण खान को दिया गया। इसके तहत उन्हें 5 लाख रुपए की राशि बतौर पुरस्कार दी जाएगी। पटियाला के डॉ. मनमोहन सिंह सहगल को लोहिया साहित्य सम्मान से नवाजा गया।

वाराणसी के डॉ. बदरीनाथ कपूर को हिंदी गौरव सम्मान, भागलपुर के श्रीभगवान सिंह को महात्मा गांधी साहित्य सम्मान, दिल्ली की डॉ. कमल कुमार को अवंती बाई साहित्य सम्मान और लखनऊ के डॉ. ओमप्रकाश पांडेय को पंडित दीनदयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान और इंफाल के मणिपुर हिंदी परिषद को राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन सम्मान दिया गया।

सभी साहित्यकारों और संस्थाओं को बतौर पुरस्कार 4-4 लाख रुपए की धनराशि दी गई। इनके अलावा विभिन्न श्रेणियों के 38 लेखकों को वर्ष 2018 में प्रकाशित पुस्तकों पर 75-75 हजार रुपए और 38 लेखकों को विभिन्न सर्जन पुरस्कार दिए गए।