राजस्थान असेंबली चुनाव से कुछ माह पहले कांग्रेस में चल रही कलह फिर से सिर उठाने लगी है। सचिन पायलट ने वसुंधरा सरकार के करप्शन के मसले पर गहलोत के खिलाफ 1 दिन का अनशन करके आवाज उठाई। उनके तेवरों से साफ था कि वो गहलोत को बख्शने के मूड़ में नहीं हैं। उनके इस कदम ने कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी को भी असहज कर दिया है। वो नहीं चाहती कि चुनाव से पहले इस तरह की तस्वीर दिखे। लिहाजा उन्होंने फिर से कमलनाथ को याद किया है। गुरुवार को कमलनाथ दिल्ली में थे। वो सोनिया से मिले तो सचिन पायलट के साथ गुफ्तगू करते दिखे।
कांग्रेस की राजनीति में ट्रबल शूटर का दर्जा गुजरात के दिग्गज नेता अहमद पटेल को दिया जाता था। जब भी कांग्रेस में कोई कलह खड़ी हुई आलाकमान के आदेश को सिर माथे लेते हुए पटेल ने एड़ी चोटी का जोर लगाया और कलह को खत्म करा दिया। 2020 में पटेल की मृत्यु होने के बाद कमलनाथ को ट्रबल शूटर का तमगा मिला। वो महाराष्ट्र में एमवीए की सरकार बनवाने की कसरत करते देखे गए। उस दौरान शिवसेना के साथ जाने को लेकर कांग्रेस के एक धड़े में गफलत का माहौल था। लेकिन कमलनाथ ही थे जिन्होंने ये बताया कि शिवसेना RSS के उतना करीब नहीं है।
2022 में MVA की सरकार पर उस समय संकट खड़ा हुआ जब एकनाथ शिंदे गुट ने बगावत कर दी। कमलनाथ फिर से मुंबई में दिखे। AICC ऑब्जर्वर के तौर पर वो कांग्रेस खेमे को दुरुस्त करने की जुगत भिड़ाते देखे गए। हालत के घटनाक्रमों से साफ है कि वो पटेल की जगह ले चुके हैं।
कानपुर में जन्मे, कलकत्ता में पले बढ़े पर राजनीति मध्य प्रदेश की
उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक कारोबारी परिवार में जन्मे कमलनाथ कलकत्ता में पले बढ़े। वो ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। 2018 में मध्य प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस की वापसी उनके ही कंधों पर सवार होकर हुई। वो सीएम बने। अलबत्ता ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के चलते उन्हें अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। उसके बाद से वो मध्य प्रदेश की राजनीति में ही अपना ध्यान लगे रहे हैं। उनका लक्ष्य 2023 के असेंबली चुनाव हैं।
कांग्रेस के अलावा दूसरे दलों के नेताओं के भी वो घनिष्ठ
हालांकि एक समय ऐसा भी था जब मध्य प्रदेश की राजनीति में उनको बाहरी का तमगा दिया गया था। वजह ये थी कि कमलनाथ दिल्ली की राजनीति में ही सक्रिय रहा करते थे। गांधी परिवार पर उनका प्रभाव इतना था कि इंदिरा गांधी उनको अपना तीसरा बेटा कहती थीं। वो संजय गांधी के घनिष्ठ मित्रों में शुमार थे तो राजीव गांधी भी उन पर काफी भरोसा करते थे। सोनिया, राहुल और प्रियंका के साथ भी वो लगातार काम कर रहे हैं। नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह की सरकार में भी वो अहम पदों पर रहे। माना जाता है कि कांग्रेस के अलावा दूसरे दलों के नेताओं के भी वो घनिष्ठ हैं।