लोकसभा ने मंगलवार को भूमि अधिग्रहण विधेयक संयुक्त समिति को भेजने के विपक्ष के प्रस्ताव को मान लिया। हालांकि ऐसा करते हुए भी उसने विधेयक को किसानों के हित में ही बताया। लोकसभा में मंगलवार को इस विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री बीरेंद्र सिंह ने यह प्रस्ताव रखा। इस समिति में लोकसभा के 20 सदस्य और राज्यसभा के 10 सदस्य होंगे। यह समिति मानसून सत्र के पहले दिन अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।

इसमें कहा गया है कि भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता अधिकार संशोधन दूसरा विधेयक-2015 सदनों की संयुक्त समिति को भेजा जाता है। इससे पहले सरकार को विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक पर लोक सभा में विपक्ष के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर यूपीए सरकार के भूमि कानून की हत्या करने का आरोप लगाया, वहीं राजग की प्रमुख सहयोगियों शिवसेना और अकाली दल ने इसे संयुक्त समिति को भेजने की मांग की।

चर्चा का जवाब देते समय ग्रामीण विकास मंत्री बीरेंद्र सिंह ने कहा कि इस पर हम पहले ही कह चुके हैं कि कुछ सुझाव आए, किसानों के हित की बात हो तब हमें कोई हर्ज नहीं है। लेकिन इस विधेयक में किसान विरोधी कुछ नहीं है। यह किसानों के हक में है। सिंह ने इस दौरान अपनी टिप्पणी में गलती से माधव राव सिंधिया का नाम ले लिया। उन्होंने कहा कि आप (ज्योतिरादित्य) 10 लाख के सूट (मोदी की) बात करते हो। किसान और गरीब का बेटा अगर महंगा सूट पहनता है तब क्या गलत है। आप माधव राव सिंधिया से पूछो।

इस पर ज्योतिरादित्य सिंधिया व कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने जबर्दस्त विरोध किया। कांग्रेस के सदस्य आसन के समीप आ गए। इसके कारण डिप्टी स्पीकर एम थंबी दुरई ने कुछ देर के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी। इस दौरान वेंकैया नायडू और एसएस आहलुवालिया को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को शांत कराते देखा गया। इस विषय पर हंगामे के कारण सदन की बैठक कुछ देर के लिए स्थगित भी करनी पड़ी थी। बाद में बीरेंद्र सिंह ने सिंधिया से इस बात के लिए खेद जताया।

चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि इस सरकार को विधेयक को पारित करने की जल्दी पड़ी है। यह इतनी आसानी से नहीं होगा। यदि हम यहां नहीं रोक पाए तो सड़क पर जाकर रोकेंगे। उन्होंने कहा- सरकार किसानों की जमीन सांठगांठ वाले पूंजीपतियों और अपने औद्योगिक मित्रों को देना चाहती है। राहुल ने विधेयक की तुलना दिनदहाड़े डकैती से की। इनके अलावा अन्नाद्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, बीजद और वाममोर्चा ने सरकार द्वारा इस तरह से भूमि अधिग्रहण विधेयक लाने की पहल का विरोध किया।

संयुक्त समिति में लोकसभा के 20 सदस्यों में आनंद राव अडसूल, एसएस आहलुवालिया, कल्याण बनर्जी, आरके भारती मोहन, पीपी चौधरी, शोभा करंदलाजे, बी विनोद कुमार, मुरली मनोहर मांगती, भतृहरि माहताब, चिराग पासवान, नित्यानंद राय, रविंद्र राय, कृष्णा राज, उदित राज, मोहम्मद सलीम, राजीव शंकरराव सातब, गणेश सिंह, अनुराज ठाकुर, केवी थामस और वीपी वेलागपल्ली शामिल हैं।