अपूर्व विश्वनाथ।
दो सहकर्मियों की आपत्ति के बाद भी चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के कॉलीजियम की बैठक बुलाई थी मगर बैठक बेनतीजा रही। बैठक उच्चतम न्यायालय में नियुक्तियों की बाबत बुलाई गई थी। सूत्रों ने बताया कि बैठक खत्म हो गई और यह सहमति भी न बन सकी कि भविष्य में क्या करना है।
बैठक से पूर्व सुबह के वक्त अदालत नम्बर दो लगी ही नहीं। इसमें जस्टिस एनवी रमन्ना को बैठना था। रमन्ना वे ही हैं, जिन्हें चीफ जस्टिस ने अगला चीफ जस्टिस नियुक्त किया है। जस्टिस रमन्ना कोर्ट नहीं गए लेकिन बैठक में भाग लेने के लिए वे पहुंचे। अगर बैठक में पांच सदस्यीय पैनल किसी एक नाम पर आमराय बना पाता तो जस्टिस बोबडे के 14 महीने के कार्यकाल में सरकार को भेजी गई पहली संस्तुति होती। सुप्रीम कोर्ट के जजों के नाम रिकमेंड करने वाले कॉलीजियम में पांच जज हैं। इनके नाम हैं चीफ जस्टिस बोबडे, जस्टिस रमन्ना, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस यूयू ललित और एएम खनविलकर।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा समय में सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की कमी है। जस्टिस बोबडे 23 अप्रैल को रिटायर हो रहे हैं। उस दिन से यह कमी पांच से बढ़कर छह जजों की हो जाएगी। यह जानना भी ज़रूरी है कि तीन जस्टिस अशोक भूषण, रोहिंटन नरीमन और नरीमन सिन्हा भी इसी साल रिटायर हो रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट में अंतिम नियुक्ति सितंबर 2019 में हुई थी और पहली रिक्ति नवंबर 2019 में पैदा हुई थी जब चीफ जस्टिस रंजन गोगोई रिटायर हुए थे।
इस तरह का गतिरोध पिछली बार 2015 में चीफ जस्टिस एचएल दत्तू के कार्यकाल में देखने को मिला था। तब नेशनल जुडीशियल एप्वाइंटमेंट्स कमीशन को लेकर न्यायपालिका और सरकार आमने-सामने आ गई थी।
इंडियन एक्सप्रेस ने पहले की एक खबर में बताया था कि दो जजों ने कॉलीजियम की बैठक का विरोध किया है। विरोध के पीछे तर्क यह था कि सरकार ने चूंकि नए चीफ जस्टिस के नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है, ऐसे में रिटायर होने जा रहे चीफ जस्टिस के लिए कोई रिकमंडेशन करना शोभा नहीं देगा।