इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर नकदी मिलने के आरोपों के बाद, भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने उनसे इस्तीफा मांगा है। हालांकि, जस्टिस वर्मा ने इससे इनकार कर दिया। CJI ने अब न्यायाधीशों के तीन सदस्यीय जांच पैनल की रिपोर्ट और जस्टिस वर्मा के जवाब को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेज दिया है ।

गुरुवार को एक ऑफिशियल रिलीज में कहा गया कि सीजेआई ने इन-हाउस प्रक्रिया के संदर्भ में, राष्ट्रपति और पीएम दोनों को पत्र लिखा है, जिसमें जस्टिस यशवंत वर्मा से प्राप्त दिनांक 06.05.2025 के पत्र/प्रतिक्रिया के साथ दिनांक 03.05.2025 की 3-सदस्यीय समिति की रिपोर्ट की कॉपी संलग्न है।

जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच

मुख्य न्यायाधीश ने 22 मार्च को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनु शिवरामन की सदस्यता वाली एक समिति गठित की थी, जिसे दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश के आवास पर आग लगने के बाद नकदी बरामदगी के आरोपों की जांच करनी थी।

जस्टिस वर्मा के आवास पर मिली नकदी क्यों नहीं की गई जब्त

यशवंत वर्मा के इस्तीफे की मांग

जस्टिस यशवंत वर्मा का 20 मार्च को ट्रांसफर हो गया था और उन्होंने 5 अप्रैल को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी। समिति द्वारा अपनी रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद, सीजेआई खन्ना ने 4 मई को जस्टिस वर्मा को पत्र लिखकर रिपोर्ट की एक कॉपी शेयर की। ऐसा माना जा रहा है कि सीजेआई ने रिपोर्ट की शुरुआत न्यायमूर्ति वर्मा को अपना इस्तीफा देने का विकल्प देते हुए की है।

पीटीआई सूत्रों के अनुसार, यह कदम उस आंतरिक प्रक्रिया का पालन करता है, जिसके तहत सीजेआई किसी न्यायाधीश को गंभीर निष्कर्षों के मद्देनजर इस्तीफा देने की सलाह देते हैं और अगर जस्टिस इसका पालन नहीं करते हैं तो सीजेआई महाभियोग (Impeachment) की सिफारिश कर सकते हैं। वहीं, यशवंत वर्मा ने दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति दोनों को दिए गए अपने जवाब में आरोपों से इनकार किया है। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स