सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को झारखंड के धनबाद में जज हत्याकांड मामले में जजों की शिकायत पर सीबीआई के रवैये पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि जब निचली अदालतों के जज धमकियों की शिकायत करते हैं तो इसकी सुनवाई नहीं होती है। जांच एजेंसिया इस तरफ ध्यान ही नहीं देती हैं। CJI एनवी रमना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के जिला जज की हालिया हत्या पर विचार किया, उन्होंने कहा कि कई नामी गिरामी बदमाशों और आपराधिक शख्सियतों के खिलाफ फैसला सुनाने के बाद अक्सर धमकियों भरे संदेश आते हैं। जब इसकी शिकायत जांच एजेंसियों से की जाती है तो उन पर ध्यान नहीं दिया जाता है।
कोर्ट ने केंद्र से जजों की सुरक्षा के लिए एक लंबित याचिका पर एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को भी कहा है। चीफ जस्टिस ने कहा कि हाई प्रोफाइल मामलों में जब कोर्ट के फैसले मनमाने नहीं आते हैं तो कोर्ट को बदनाम किया जाता है। गैंगस्टरों से जुड़े हाई प्रोफाइल मामलों में व्हाट्सएप और फेसबुक पर गाली गलौज भरे संदेश भेज कर या फिर धमकी के जरिए जजों को मानसिक रुप से परेशान किया जाता है। उन्होंने कहा कि हमें सीबीआई के रवैये में कुछ बदलाव की उम्मीद थी लेकिन सीबीआई ने कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि यह बेहद दुखद है कि स्थिति ऐसी हो गई है।
चीफ जस्टिस ने कहा कि जब जजों द्वारा सीबीआई या इंटेलिसेंज ब्यूरों को इस तरह की धमकी की शिकायत की जाती है तो वह इसमें कोई जवाब तक नहीं देते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि झारखंड के धनबाद जिले में जज की हत्या के मामले में CBI को नोटिस जारी किया गया है। इस मामले की सुनवाई सोमवार होगी।
राज्य पर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि झारखंड में एक जज की इस तरह से मौत हो जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इसे राज्य की विफलता करार देते हुए कोर्ट ने कहा कि धनबाद में कोल माफिया सक्रिय हैं। जज को व्यापक सुरक्षा दी जानी चाहिए थी। बताते चलें कि जज उत्तम आनंद हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी को एक सप्ताह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।
आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि पिछले दिनों झारखंड के धनबाद दिले में मॉर्निंग वॉक करने गए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद की सड़क हादसे में मौत हो गई। कुछ सीसीटीवी फुटेज में सामने आया कि ऑटो द्वारा उन्हें जानबूझकर धक्का मारा गया। जिसके बाद इस मामले पर झारखंड हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि पहले पुलिसकर्मी, फिर वकील और अब जजों पर हमला किया जा रहा है।