जम्मू कश्मीर के राजौरी में आतंकी हमले के बाद सुरक्षाबलों ने कुछ लोगों को हिरासत में लिया था। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें सुरक्षाबल कुछ लोगों को कपड़े उतरवाकर पीट रहे हैं। इसके अलावा उनके घाव पर मिर्च पाउडर छिड़का जा रहा है। हिरासत में लिए गए एक व्यक्ति ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि उसे और अन्य बंदियों को कपड़े उतारकर पीटा गया और उनके घाव पर मिर्च पाउडर तब तक छिड़का गया जब तक वह बेहोश नहीं हो गए।

5 लोगों को सेना ने उठाया था

अस्पताल में भर्ती 52 वर्षीय मोहम्मद अशरफ ने दावा किया कि उन्हें और चार अन्य लोगों को पिछले हफ्ते सुरक्षा बलों ने उठा लिया था, जिसके बाद उन्होंने हमारे कपड़े उतार दिए और हमें लाठियों और लोहे की छड़ों से पीटा। हमारे घावों पर मिर्च पाउडर छिड़का गया। कथित तौर पर पूछताछ के दौरान तीन नागरिकों की मौत हो गई और अशरफ समेत पांच को शनिवार को राजौरी के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया।

अशरफ ने सोशल मीडिया पर शेयर किए गए एक वीडियो का जिक्र करते हुए द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “वायरल वीडियो में मैं ही वह व्यक्ति हूं, जिसमें सेना के जवानों द्वारा लोहे की छड़ों और लाठियों से पीटा जा रहा है। सदमे के कारण मैं पिछले शनिवार से सो नहीं पाया हूं। जब आपके पूरे शरीर में तेज़ दर्द हो और आंखें बंद करते ही यातना के विचार आपके मन को सताने लगें तो कौन सो सकता है?”

राजौरी जिले के थानामंडी क्षेत्र के हसबलोटे गांव के अशरफ ने 2007 से जम्मू-कश्मीर के बिजली विकास विभाग में लाइनमैन के रूप में काम किया है और उन्हें प्रति माह 9,330 रुपये का वेतन मिलता है। इससे वह अपने तीन बच्चों (18 साल की बेटी और 15 और 10 साल के दो बेटों) का भरण-पोषण करते हैं। उनकी पत्नी की इस साल 23 मार्च को मृत्यु हो गई थी। अशरफ के साथ राजौरी अस्पताल में भर्ती अन्य चार लोग 45 वर्षीय फारूक अहमद, 50 वर्षीय फजल हुसैन, उनके भतीजे मोहम्मद बेताब और एक अन्य 15 वर्ष के हैं। वे सभी थानामंडी क्षेत्र से हैं।

कोई खड़ा या बैठ नहीं सकता- अशरफ

अशरफ ने कहा कि उनमें से कोई भी ठीक से खड़ा या बैठ नहीं सकता। उन्होंने कहा, “जब हमें परीक्षण के लिए या शौचालय जाना होता है तो वे (अस्पताल कर्मचारी) हमें व्हीलचेयर या स्ट्रेचर पर ले जाते हैं।” उन्होंने दावा किया कि सुरक्षा बलों ने उन्हें शुक्रवार सुबह करीब 9.30 बजे उनके घर से उठाया था। अशरफ ने कहा, “वे मुझे डीकेजी (देहरा की गली) के पास मन्याल गली में ले गए जहां उनके सहयोगी पहले से ही टाटा सूमो में फारूक अहमद के साथ बैठे थे। कुछ समय बाद मोहम्मद बेताब और उनके भाई को भी लाया गया, और वे सभी हमें डीकेजी में अपने शिविर में ले गए।”

अशरफ ने कहा, “हमारे वहां पहुंचने के बाद सुबह 10.30 बजे उन्होंने हमारे मोबाइल फोन बंद कर दिए और बिना कुछ कहे हमें लाठियों और लोहे की छड़ों से पीटना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद उन्होंने हमारे कपड़े उतार दिए और फिर से हमें लाठियों और लोहे की छड़ों से पीटना शुरू कर दिया और हमारे घावों पर मिर्च पाउडर तब तक मलते रहे जब तक हम बेहोश नहीं हो गए।” 15 वर्षीय छात्र 10वीं कक्षा में पढ़ रहा है और राजौरी अस्पताल में भर्ती है। उन्होंने दावा किया कि पूछताछ के दौरान सुरक्षाकर्मियों ने उनसे पूछा कि क्या उन्होंने आतंकवादियों को भोजन उपलब्ध कराया था।

अशरफ ने आगे बताया कि मैंने उन्हें बताया कि दावत मेरे भाई बेताब की शादी के लिए आयोजित की गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि इन सवालों के बाद बाकी लोगों के साथ उन्हें भी पीटा गया। मोहम्मद बेताब एक मजदूर है जो कश्मीर में काम करता था और लगभग दो महीने पहले अपनी शादी के लिए घर आया था। 15 दिसंबर को उसकी शादी हुई थी।