नागरिकता विवाद के बीच मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ BJP नेता शिवराज सिंह चौहान ने दावा किया है कि दुनिया की कोई भी ताकत Citizenship Amendment Act (CAA) के अमलीकरण में बाधा नहीं बन सकती है। उन्होंने इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी पर कहा कि ये श्रीराम और हनुमान हैं। बुधवार को चौहान ने पत्रकारों को बताया, “विश्व में कोई भी ताकत CAA को लागू होने से नहीं रोक सकती है। मोदी जी पीएम हैं, किसी भी धमकी से नहीं डरते हैं। वह शेर हैं। अगर वह प्रभु श्रीराम हैं, तब अमित शाह भगवान हनुमान हैं।”
पूर्व CM पहले भी PM को बता चुके हैं भगवानः शिवराज इससे पहले भी पीएम मोदी को भगवान बता चुके हैं। 23 दिसंबर, 2019 को राजस्थान के जयपुर में एक जन सभा में उन्होंने सीएए को लेकर कहा था- नरेंद्र मोदी उनके लिए भगवान बन कर आए हैं, जो प्रतातिड़ थे और नर्क की जिंदगी जी रहे थे। भगवान ने जीवन दिया, मां ने जन्म दिया और मोदी जी ने फिर से जिंदगी दी है।
गृह मंत्री भी रुख कर चुके हैं साफः देश भर में विभिन्न जगह CAA, NRC और NPR को लेकर हो रहे विरोध के बीच गृह मंत्री अमित शाह भी साफ कर चुके हैं कि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार किसी भी हालत में सीएए को वापस नहीं लेगी। जबलपुर में एक रैली के दौरान शाह ने विपक्ष (मुख्यतः कांग्रेस) से कहा था- जिसे जो करना है, वह कर ले। सरकार शरणार्थियों को नागरकिता देकर ही भरेगी।
यूरोपीय संसद में CAA विरोधी संयुक्त प्रस्ताव पर बुधवार को चर्चा की संभावना: भारत के नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ यूरोपीय संसद के सदस्यों (एमईपी) द्वारा पेश पांच विभिन्न संकल्पों से संबंधित संयुक्त प्रस्ताव को बुधवार को ब्रसेल्स में होने वाले पूर्ण सत्र में चर्चा के अंतिम एजेंडे में सूचीबद्ध किया गया है। इस प्रस्ताव में पिछले महीने दिये गये संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) के बयान को संज्ञान में लिया गया है जिसमें सीएए को ‘बुनियादी रूप से भेदभाव की प्रकृति’ वाला कहा गया था। इसमें संयुक्त राष्ट्र तथा यूरोपीय संघ के उन दिशानिर्देशों को भी आधार बनाया गया है जिनमें भारत सरकार से संशोधनों को निरस्त करने की मांग की गयी है।
बुधवार को संसद में सीएए पर चर्चा से पहले यूरोपीय संसद द्वारा ब्रेक्जिट विधेयक पर ऐतिहासिक मुहर लगाई जाएगी जिसके तहत ब्रिटेन शुक्रवार को औपचारिक रूप से ईयू से अलग हो जाएगा। भारत सरकार का कहना है कि पिछले महीने संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) देश का आंतरिक मामला है और इसका उद्देश्य पड़ोसी देशों में उत्पीड़न का शिकार अल्पसंख्यकों को संरक्षण प्रदान करना है। भारत ने ईयू के कदम की कड़ी निंदा की है। (भाषा इनपुट्स के साथ)