Parliament Winter Session 2019, Citizenship Amendment Bill: संसद ने बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है।
राज्यसभा ने बुधवार को विस्तृत चर्चा के बाद इस विधेयक को पारित कर दिया। सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने के विपक्ष के प्रस्ताव और संशोधनों को खारिज कर दिया। विधेयक के पक्ष में 125 मत पड़े जबकि 105 सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया।लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राज्यसभा से नागरिकता संशोधन विधेयक के पारित होने को भारत के संवैधानिक इतिहास का ‘काला दिन’ करार देते हुए बुधवार को कहा कि यह उस भारत की सोच को चुनौती है जिसके लिए राष्ट्र निर्माता लड़े थे।
इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत के मुसलमान भारतीय नागरिक थे, हैं और बने रहेंगे।उन्होंने कहा कि उन तीनों देशों में अल्पसंख्यकों की आबादी में खासी कमी आयी है। शाह ने कहा कि विधेयक में उत्पीड़न का शिकार हुए अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। शाह ने इस विधेयक के मकसदों को लेकर वोट बैंक की राजनीति के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए देश को आश्वस्त किया कि यह प्रस्तावित कानून बंगाल सहित पूरे देश में लागू होगा।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राज्यसभा से नागरिकता संशोधन विधेयक के पारित होने को भारत के संवैधानिक इतिहास का ‘काला दिन’ करार देते हुए बुधवार को कहा कि यह उस भारत की सोच को चुनौती है जिसके लिए राष्ट्र निर्माता लड़े थे।
राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पास हो गया। विधेयक के पक्ष में 125 और विरोध में 105 मत पड़े। अब बिल राष्ट्रपति के पास जाएगा और उनकी मंजूरी के साथ ही कानून का हिस्सा बन जाएगा। राज्यसभा में मतदान के दौरान शिवसेना ने वॉकआउट किया।
नागरिकता संशोधन विधेयक पर वोटिंग शुरू हो गई है और कुछ ही देर में इस बिल पर फैसला आ जाएगा। हालांकि एनडीए के पास बहुमत से ज्यादा की संख्या है। ऐसे में बिल पास होने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।
सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने के पक्ष में 99 लोगों ने वोट दिया जबकि वहीं इसके खिलाफ 124 वोट पड़े। जिसके बाद यह प्रस्ताव गिर गया। फिलहाल अब इस विधेयक को लेकर फाइनल वोटिंग हो रही है।
राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव गिर गया। वोटिंग के दौरान पूर्व में भाजपा की सहयोगी रही शिवसेना ने वोटिंग में भाग नहीं लिया।
अमित शाह ने श्रीलंका से आए तमिलों की समस्याओं के हल के लिए विगत में कानून बनाए गए, अब तीन अन्य देशों से जुड़ी समस्याओं के हल के लिए कानून बनाए जा रहे हैं।
उच्च सदन में अमित शाह ने बहस के दौरान कहा कि अगर यह बिल 50 साल पहले आ जाता तो हालात इतने ना बिगड़ते। शाह ने कहा कि भारत ने तो अपना वादा निभाया लेकिन पड़ोस के तीन मुल्क ने अपना वादा नहीं निभाया। समस्याओं को राजनीति से जोड़कर नहीं देखना चाहिए।
राकांपा के प्रफुल्ल पटेल ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि विधेयक को लेकर पूर्वोत्तर भारत और देश के अन्य स्थानों पर विरोध हो रहे हैं, उसे देखते हुए सरकार को इस पर गौर करना चाहिये और विधेयक को प्रवर समिति में भेजना चाहियेउन्होंने कहा कि विधेयक में कई खामियां हैं जिन्हें अदालत में चुनौती दी जा सकती है। वहीं, आईयूएमएल के अब्दुल बहाव ने इसे दमनकारी कानून बताते हुए इसे वापस लिये जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि इसमें श्रीलंकाई हिन्दुओं और तमिल मुस्लिमों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।
राज्यसभा में बुधवार को सीएबी पर चर्चा में भाग लेते हुए शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि यह कहा जा रहा है कि जो इस विधेयक का विरोध कर रहा है वह ‘‘देशद्रोही’’ है और जो इसका समर्थन कर रहा है वह ‘‘देशभक्त’’ है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम लिये बिना इस विधेयक को लेकर उनके एक बयान का उल्लेख करते हुए कहा कि इस विधेयक का विरोध करने वालों को ‘‘पाकिस्तान की भाषा ’’ बोलने वाला बताया जा रहा है। उन्होंने राज्यसभा की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह ‘‘पाकिस्तान की असेम्बली’’ नहीं है। यहां जो लोग भी हैं, उन्हें भारत के नागरिकों ने चुन कर भेजा है।
राज्यसभा में आप सांसद संजय सिंह ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। संजय सिंह ने नागरिकता संशोधन विधयेक को लेकर कहा कि सरकार अपनी सनक पूरी कर रही है।
राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि, '' भारत टू नेशन थ्योरी में विश्वास नहीं करता। सरकार आज टू नेशन थ्योरी को सही साबित करने जा रही है। अमित शाह ने सही कहा कि यह बिल ऐतिहासिक है, सरकार संविधान की बुनियाद बदलने जा रही है। कांग्रेस भारत में हिंदू देश और मुस्लिम देश का विरोध करती है।''
आनंद शर्मा ने मोदी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि अगर सरदार पटेल कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे तो बहुत दु:खी होंगे। उन्होंने पूछा कि आखिर ऐसी क्या जल्दबाजी है कि आप इस बिल के लेकर आए हैं? उन्होंने कहा, 'आपने कहा यह बिल ऐतिहासिक है। इस बिल को इतिहास कैसे देखेगा यह तो वक्त बताएगा पर इस बिल को लेकर जल्दबाजी क्यों हो रही है?"
सपा सांसद जावेद अली खान ने बिल के विपक्ष में अपनी बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार ने माना है कि धर्म शासित राज्यों जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में बुरा व्यवहार किया जाता है। ऐसे में भारत सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि वह भारत को धर्म शासित राज्य बनाने का समर्थन नहीं करती। सपा सांसद ने कहा कि सरकार के कई सहयोगी पहले भी साफ कह चुके है कि भारत को मुस्लिम मुक्त राष्ट्र बनाएंगे। सांसद ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार एनआरसी और सीएबी के जरिए पाकिस्तान के कायदे आजम मुहम्मद जिन्ना का सपना पूरा करना चाहती है। क्योंकि जिन्ना चाहते थे कि पाकिस्तान मुस्लिम राष्ट्र बने और ठीक वैसे सरकार चाहती है भारत मुस्लिम मुक्त राष्ट्र बने।
नागरिकता संशोधन बिल को लेकर सदन के ऊपरी सदन राज्यसभा में चर्चा जारी है। इसमें टीएमसी के राज्य सभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने सदन में भाजपा की सहयोगी दलो से अपील की कि बिल के खिलाफ मतदान करें। सांसद ने कहा, 'इस बिल के विपक्ष में मतदान करिए। बीस साल बाद अपने बेटे के बच्चों को क्या जवाब देंगे। जब बिल लाया गया तब आपने किसके पक्ष में मतदान किया।'
शाह ने कहा कि इन प्रवासियों के पास रोजगार और शिक्षा के अधिकार नहीं थे। गृह मंत्री ने इस विधेयक के पीछे वोटबैंक की राजनीति के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस संबंध में घोषणा की थी।
नागरिकता संशोधन विधेयक पर जेपी नड्डा ने कहा "आन्याय में जी रहे लोगों के लिए सम्मान से रहने का रास्ता है ये बिल। बिल का मकसद पीड़ित लोगों को अधिकार देना है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हुआ है।
शर्मा ने कहा "असम अभी जल रहा है, वहां बच्चे सड़क पर क्यूँ हैं? किसी भी दल का घोषणापत्र देश के संविधान से बड़ा नहीं। राजनीति से ऊपर उठकर बात होनी चाहिए।"
आनंद शर्मा ने कहा कि दो देशों की थ्योरी 1937 में सावरकर ने दी थी। हिन्दू महासभा की बैठक में टू नेशस थ्योरी का जिक्र हुआ था। महासभा ने ही मुस्लिम लीग की टू नेशस थ्योरी का समर्थन किया था। भाजपा इतिहास को दोबारा लिखने की कोशिश न करें। वक्त बताएगा इतिहास किस नज़र से बिल को देखता है।
बीजेपी ने देश के बटवारे का आरोप कांग्रेस पर लगाया था। इसपर कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि जो अग्रेजों की जेल में रहे उन्हीं पर बटवारे का आरोप। दो देशों को थ्योरी कांग्रेस नहीं लाई थी।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा "भारत दुनिया भर से आए मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता नहीं दे सकता, यह विधेयक तीन देशों में उत्पीड़न का सामना कर रहे अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए है। भारत की आजादी के बाद तीन देशों से आए गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी।"
शाह ने कहा कि मुस्लिम बहकावे में ना आयें। इस बिल के दायरे में आने वालों पर घुसपैठहिया केस खत्म हो जाएगा। शरणाथियों के कारोबार को नियमित किया जाएगा।
राज्य सभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ये बिल मुस्लिमों के खिलाफ नहीं है। देश के मुस्लिमों को चिंता करने की जरूरत नहीं। मुस्लिम इस देश के नागरिक थे हैं और रहेंगे। गृह मंत्री ने आगे कहा कि मोदी सरकार में अल्पसंख्यकों को पूरी सुरक्षा मिलेगी।
जीएसटी के कारण राज्यों को होने वाले राजस्व घाटे की भरपाई केंद्र द्वारा समय पर नहीं किए जाने के विरोध में टीआरएस सहित विभिन्न दलों के हंगामे के कारण राज्यसभा की बैठक शुरू होने के कुछ ही देर बाद दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित।
नागरिकता संशोधन बिल की राज्य सभा में परीक्षा के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को आरोप लगाया कि 'मोदी-शाह सरकार नागरिकता संशोधन विधेयक के माध्यम से पूर्वोत्तर के नस्लीय सफाये का प्रयास कर रही है। उन्होंने विधेयक के खिलाफ पूर्वोत्तर में प्रदर्शन होने से जुड़ी खबर का हवाला देते हुए यह भी कहा कि वह पूर्वोत्तर की जनता के साथ मजबूती से खड़े हैं। गांधी ने ट्वीट कर आरोप लगाया, ''''नागरिकता विधेयक मोदी-शाह सरकार की ओर से पूर्वोत्तर के नस्लीय सफाये का प्रयास है। यह पूर्वोत्तर के लोगों, उनकी जीवन पद्धति और भारत के विचार पर हमला है।'
राजद ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा "जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है लेकिन अमित शाह के कहने से एक नॉन-पॉलिटिकल आदमी को 40 वर्षों से अधिक अनुभव वालों पर वरीयता देते हुए नीतीश कुमार सीधा उपाध्यक्ष बना दिया था। यह सनसनीखेज ख़ुलासा आपके चैनल पर स्वयं नीतीश कुमार ने जनवरी 2019 में पटना में किया था। ये भाजपा का एजेंट है।'' असदुद्दीन ओवैसी के एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान, जिनकी पार्टी ने हाल ही में बिहार में किशनगंज विधानसभा क्षेत्र के लिए हुए उपचुनाव में अपनी पहली जीत दर्ज की, ने कहा, ‘‘जदयू के कैब का समर्थन करने ने मुस्लिम वोटों को बटोरने के लिए धर्मनिरपेक्षता का 'ढोंग' करने वाले नीतीश कुमार का सांप्रदायिक चेहरा उजागर कर दिया है। उन्होंने कहा कि उक्त विधेयक पर हमारा रुख ओवैसी साहब द्वारा स्पष्ट किया गया है और हम जदयू के सभी मुस्लिम विधायकों और सांसदों से आग्रह करते हैं कि वे मुसलमानों के बीच इसको लेकर रोष की भावना के साथ एकजुटता से खड़े हों और अपने पदों से इस्तीफे दें।
वहीं, बिहार प्रदेश कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा, ‘‘मैं जदयू के कई मुस्लिम नेताओं के संपर्क में रहा हूं जो इससे बहुत शर्मिंदा हैं।’’उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को खुद सामने आना चाहिए और यह स्पष्ट करना चाहिए कि धर्मनिरपेक्षिता की बात करने वाली जदयू का असली चेहरा कौन है, वर्मा और किशोर जिसका प्रतिनिधित्व करते हैं या जो संसद में दिखा। कादरी ने आरोप लगाया, ‘‘सत्ता पर काबिज होने के लिए, उन्होंने उन लोगों से पहले से संपर्क किया है, जिनकी मार्गदर्शक ताकतें नथुराम गोडसे और सावरकर रहे हैं, जिससे यह साबित होता है कि उनकी समाजवाद और गांधीवाद की बातें झूठी हैं। उन्हें हमेशा यह विचार आया करता था कि कांग्रेस ने जदयू के बजाय राजद को गठबंधन के लिए क्यों नहीं चुना। उनके खुद के क्रियाकलाप में उत्तर निहित है।’’उन्होंने कहा, "ऐसा नहीं है कि लालू प्रसाद के साथ हमारा कभी कोई मतभेद नहीं रहा है। लेकिन हम जानते हैं कि वह किस लिए खड़े हैं। लेकिन किसी को नहीं पता कि नीतीश जी का किस चीज में विश्वास है। हमें यकीन है कि वह राज्य के मुसलमानों के बीच जो भी अपनी पहचान बनायी थी, उसे खोने जा रहे हैं।’’
जदयू के प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने अपने पार्टी के भीतर इस मुद्दे पर अलग अलग राय होने पर पर्दा डालते हुए कहा, ‘‘हमारी पार्टी लोकतांत्रिक है इसलिए कोई आदेश नहीं है। कुछ वरिष्ठ नेताओं ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं। पार्टी ने इस तथ्य के बाद अपना आधिकारिक रुख अपनाया कि आस-पास के देशों से उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को भारत से मदद मिलनी चाहिए।’’उन्होंने कहा कि इसके अलावा, यह धारणा कि यह कानून मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करता है, निराधार है। यहां तक कि अगर पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश जैसे देशों में एक मुसलमान को मदद की जरूरत है, तो राजनीतिक शरण देने के लिए एक प्रणाली है। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली बिल के साथ समाप्त नहीं हो जाएगी।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को कहा कि शिवसेना राज्यसभा में तब तक नागरिकता (संशोधन) विधेयक का समर्थन नहीं करेगी, जब तक कि पार्टी द्वारा लोकसभा में उठाए गए सवालों का जवाब नहीं मिल जाता। ठाकरे ने यहां संवाददाताओं से कहा विधेयक पर विस्तृत चर्चा जरूरी है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को इस विधेयक को लागू करने से अधिक अर्थव्यवस्था, नौकरी संकट और बढ़ती महंगाई पर चिंतित होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमें इस धारणा को बदलना होगा कि इस विधेयक और भाजपा का समर्थन करने वाले देशभक्त हैं और जो इसका विरोध कर रहे हैं वो राष्ट्र-द्रोही हैं। विधेयक को लेकर उठाए गए सभी मु्द्दों पर सरकार को जवाब देना चाहिए।’’भाजपा पर निशाना साधते हुए ठाकरे ने उम्मीद जताई कि भारत में शरण मांगने वालों और इस विधेयक के दायरे में आने वालों को अब अधिक प्याज मिलेगा। ठाकरे ने कहा, ‘‘भाजपा को लगता है कि जो कोई (इससे) असहमत है, वह देशद्रोही है।’’उन्होंने कहा कि शिवसेना ने जिन संशोधनों का सुझाव दिया है, उन्हें राज्यसभा में पेश किए जाने वाले विधेयक में शामिल करना चाहिए।
बिहार भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने ट्वीट किया, ‘‘कुछ व्यक्ति खुद को या तो एक संस्था के रूप में या संगठनात्मक ढांचे से परे स्थापित करना चाहते हैं। वे यह भी चाहते हैं कि उनका नेता उनका अनुसरण करें और उनके हुक्म के अनुसार चले। जो देश के लिए भी किसी मतभेद को नहीं भुला सकता, वह बेकार है।’’ एक अन्य ट्वीट में उन्होंने सभी दलों को धन्यवाद दिया, जिन्होंने नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किया है।
जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव पवन वर्मा ने ट्वीट किया है, ‘‘मैं नीतीश कुमार से राज्यसभा में कैब के समर्थन पर पुर्निवचार करने का आग्रह करता हूं। विधेयक जदयू के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ होने के अलावा असंवैधानिक, भेदभावपूर्ण और देश की एकता और सद्भाव के खिलाफ है। कांग्रेस को इसका कड़ा विरोध किया होगा।’’इससे पहले, सोमवार की रात में जब विधेयक को लोकसभा में मतदान के लिए रखा जा रहा था, किशोर ने ट्वीट किया था, ‘‘जदयू को ऐसे विधेयक का समर्थन करते देख निराशा हुई, धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। यह जदयू के संविधान से मेल नहीं खाता, जिसके पहले पन्ने पर ही तीन बार धर्मनिरपेक्ष लिखा है। हम गांधी की विचारधारा पर चलने वाले लोग हैं।’’