इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने नागरिकता संशोधन बिल को बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। इससे एक दिन पहले यह विधेयक राज्यसभा में पारित हो गया। इसमें पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न से परेशएान होकर भागकर भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है। आईयूएमएल ने आरोप लगाया कि यह विधेयक संविधान के समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है।
Senior Advocate Kapil Sibal to represent Indian Union Muslim League (IUML) in Supreme Court. IUML in its petition pleaded the SC to declare #CitizenshipAmendmentBill2019 as illegal and void. https://t.co/xB3VbwSHCR
— ANI (@ANI) December 12, 2019
यह अर्जी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के चार ससदों ने लगाई है। आईयूएमएल द्वारा दाखिल की गई याचिका में बिल को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि ये बिल धर्म के आधार पर वर्गीकरण करता है और इससे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होता है। याचिका में कैब पर अतंरिम रोक लगाने की मांग की गई है। याचिका में ये भी कहा गया है कि केंद्र को आदेश दिया जाए कि इस मामले में आगे की कार्रवाई ना करे।
बता दें संसद ने बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। राज्यसभा ने बुधवार को विस्तृत चर्चा के बाद इस विधेयक को पारित कर दिया। सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने के विपक्ष के प्रस्ताव और संशोधनों को खारिज कर दिया। विधेयक के पक्ष में 125 मत पड़े जबकि 105 सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया। इससे पहले ये बिल सोमवार को लोकसभा में पास हो गया था। कैब को लोकसभा में 80 वोटों के खिलाफ 311 वोटों के बहुमत के साथ पारित किया गया था।