नागरिकता संशोधन विधेयक बुधवार को राज्यसभा में चर्चा के लिए पेश किया गया। चर्चा के दौरान विपक्ष के नेताओं ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। चर्चा में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने नरेंद्र मोदी नीत सरकार पर तीखा हमला बोला और कहा कि यह भारत और बंगाल विरोधी है।
ओ ब्रायन ने कहा कि हिटलर के दौर से और आज के समय में काफी समानता है। विधेयक का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ आंदोलन किया जाएगा और यह मामला उच्चतम न्यायालय में भी जाएगा। ब्रायन ने आरोप लगाया कि यह सरकार ‘‘‘नाजियों’’ की तरह कदम उठा रही है।
बंगाली में बोलते हुए ओ ब्रायन ने अपना पक्ष रखना शुरू किया, उन्होंने कहा कि”जो लोग अतीत को याद नहीं कर सकते, उनकी गलतियों को दोहराने की निंदा की जाती है। मैं नाजी जर्मनी में पारित किए गए दो कानूनों के लिए 84 साल पीछे जाना चाहता हूं … जिन कानूनों को अभी देश में लागू किया गया है वो हिटलर के शासन से मिलता जुलता है।
“1933 में कंसनट्रेशन कैंप थे … 2018 में डिटेंशन कैंप रहा जहां 60 प्रतिशत बंगाली हिंदू हैं कैद हैं। 1935 में जर्मन रक्त वाले लोगों की सुरक्षा के लिए नागरिकता कानून थे … आज हमारे पास एक गलत बिल है (नागरिकता संशोधन विधेयक 2019)।” ओ ब्रयन ने सीएबी का जिक्र करते हुए कि यह परिभाषित करना चाहता है कि सच्चे भारतीय नागरिक कौन हैं।
उन्होंने कहा कि बंगालियों को राष्ट्रभक्ति सिखाने की जरूरत नहीं है और अंडमान के जेलों में बंद कैदियों में 70 प्रतिशत बंगाली थे। उन्होंने बंगाल के कई स्वतंत्रता सेनानियों का जिक्र करते हुए कहा कि अंग्रेज भी भारतीय लोगों की मनोस्थिति को नहीं तोड़ पाए। उन्होंने कहा कि आज कुछ लोग बंगाल के हितैषी बन रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार देश के नागरिकों को आश्वासन देने के लिहाज से काफी अच्छी है लेकिन अपने वादों को तोड़ने के लिहाज से और भी अच्छी है।

