सीआरपीसी की धारा 144 के उल्लंघन के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के 20 छात्रों को पुलिस ने पिछले 48 घंटों में बुक किया है। नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) के संसद में पेश किए जाने के मद्देनजर अलीगढ़ में धारा 144 लगाई गई थी। पुलिस के साथ झड़प के आरोप में मंगलवार को छात्रों को हिरासत में लिया गया है। ये छात्र कैब के विरोध में ‘मशाल जुलूस’ निकाला रहे थे।

छात्रों ने बुधवार को अपना विरोध जारी रखा और 24 घंटे की भूख हड़ताल शुरू की। उन्होंने अकादमिक गतिविधियों का बहिष्कार करने का भी दावा किया, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने इससे इनकार किया और कहा कि परीक्षाएं और कक्षाएं चल रही हैं। प्रशासन ने यह भी कहा कि परिसर में सब ठीक है। सर्कल ऑफिसर अनिल कुमार ने कहा “20 छात्रों के अलावा, 500 से अधिक अज्ञात व्यक्तियों को बिना अनुमति भीड़ इकट्ठा करने के आरोप में हिरासत में लिया गया है। त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ), प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी (पीएसी) और चार पुलिस स्टेशनों के कर्मियों को रोकथाम के उपाय के रूप में तैनात किया गया है। वर्तमान में छोटे-छोटे विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और स्थिति नियंत्रण में है।”

पुलिस के मुताबिक, एएमयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष सलमान इम्तियाज नामजद आरोपियों में से हैं। इम्तियाज ने कहा, ‘बुधवार सुबह शुरू हुई भूख हड़ताल गुरुवार को खत्म हो जाएगी। हम अपना विरोध जारी रखेंगे।” इम्तियाज ने दावा किया कि भूख हड़ताल के दौरान विश्वविद्यालय के सभी 2500 छात्रों ने कुछ नहीं खाया। वहीं छात्रों के संघ के पूर्व उपाध्यक्ष, हमजा सूफियान ने दावा किया कि कई छात्र जो परीक्षाओं में उपस्थित होना चाहते थे, उन्होंने परीक्षा नहीं दी और भूख हड़ताल और विरोध प्रदर्शन में भाग लिया।

बता दें संसद ने बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। राज्यसभा ने बुधवार को विस्तृत चर्चा के बाद इस विधेयक को पारित कर दिया। सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने के विपक्ष के प्रस्ताव और संशोधनों को खारिज कर दिया। विधेयक के पक्ष में 125 मत पड़े जबकि 105 सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया। इससे पहले ये बिल सोमवार को लोकसभा में पास हो गया था। कैब को लोकसभा में 80 वोटों के खिलाफ 311 वोटों के बहुमत के साथ पारित किया गया था।