लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले केंद्र सरकार संशोधित नागरिकता कानून (CAA) को लेकर बड़ा फैसला ले सकती है। खबर है कि केंद्र सरकार लोकसभा चुनाव से पहले इसे नोटिफाइड कर सकती है। गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार इस कानून के नियमों को जल्द ही लागू किया जा सकता है। संभावना है कि जनवरी या फरवरी में ही सीएए के नियम लागू हो जाएंगे।
खबर के अनुसार जब सरकारी अधिकारी से पूछा गया कि क्या सीएए नियमों को कुछ महीनों में होने वाले लोकसभा चुनावों की घोषणा से पहले अधिसूचित किया जाएगा तो उन्होंने जवाब दिया कि हां, उससे बहुत पहले। अधिकारी ने आगे कहा, “हम जल्द ही सीएए के नियम जारी करने जा रहे हैं। नियम जारी होने के बाद कानून लागू किया जा सकता है और पात्र लोगों को भारतीय नागरिकता दी जा सकती है। कानून में चार साल से ज्यादा की देरी हो चुकी है और कानून लागू होने के लिए नियम जरूरी हैं।”
लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले तय किए जाएंगे CAA के नियम
सरकार के सूत्रों ने मंगलवार को यह भी बताया कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) के नियम को लोकसभा चुनाव की घोषणा से बहुत पहले अधिसूचित किया जाएगा। इस विधेयक को दिसंबर 2019 में संसद ने मंजूरी दे दी गई थी। इस विधेयक में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने की वकालत की गई है। वहीं, मुसलमानों को इससे अलग रखा गया है।
गृह मंत्रालय के अधिकारी ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 के नियमों की अधिसूचना जारी करने के बारे में अहम बयान दिया है। गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले नियम अधिसूचित कर दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही सीएए के लिए नियमावली जारी करेगी।
ऑनलाइन होगी प्रक्रिया
अधिकारी ने कहा कि इसके लिए एक पोर्टल भी तैयार कर लिया गया है, पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। आवेदकों को वह साल बताना होगा, जब उन्होंने यात्रा दस्तावेजों के बगैर भारत में प्रवेश किया था। आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। पात्र पड़ोसी देशों से आने वाले विस्थापितों को सिर्फ पोर्टल पर आनलाइन आवेदन करना होगा और गृह मंत्रालय इसकी जांच कर नागरिकता जारी कर देगा। गौरतलब है कि नागरिकता देने का अधिकार पूरी तरह से केंद्र सरकार के पास है। संसद ने दिसंबर 2019 में CAA संबंधित विधेयक को मंजूरी दी थी और बाद में राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद इसके विरोध में देश के कुछ हिस्सों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए।