जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने के लिए गठित मंत्री-समूह ने शीतल पेय, सिगरेट एवं तंबाकू जैसे हानिकारक उत्पादों पर कर की दर को मौजूदा 28 फीसद से बढ़ाकर 35 फीसद करने की सोमवार को अनुशंसा की। एक अधिकारी ने बताया कि बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की अध्यक्षता में गठित मंत्री-समूह (जीओएम) ने परिधानों पर कर की दरों को भी तर्कसंगत बनाने का फैसला किया।
इस समूह का गठन माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों को तर्कसंगत बनाने से संबंधित सुझाव देने के लिए किया गया था। मंत्री-समूह की बैठक में लिए गए फैसलों पर जीएसटी परिषद अंतिम फैसला करेगी। मंत्री-समूह जीएसटी परिषद को कुल मिलाकर 148 वस्तुओं पर कर दरों में बदलाव का प्रस्ताव देगा। एक अधिकारी ने कहा कि इस कदम का शुद्ध राजस्व प्रभाव सकारात्मक होगा।
रेडीमेड कपड़ों पर भी जीएसटी लगाने की तैयारी
मंत्री-समूह ने तंबाकू और उससे बने उत्पादों के अलावा शीतल पेय पर 35 फीसद की विशेष दर लगाने पर सहमति जताई है। पांच, 12, 18 और 28 फीसद की चार-स्तरीय कर स्लैब जारी रहेगी और जीओएम द्वारा 35 फीसद की नई दर प्रस्तावित की गई है। इसके साथ ही जीओएम ने 1,500 रुपए तक की लागत वाले रेडीमेड कपड़ों पर पांच फीसद जीएसटी लगाने की बात कही है जबकि 1,500 रुपए से 10,000 रुपए के मूल्य वाले कपड़ों पर 18 फीसद और 10,000 रुपए से अधिक लागत वाले कपड़ों पर 28 फीसद कर लगेगा।
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मंत्री समूह की रिपोर्ट पर 21 दिसंबर को जीएसटी परिषद की बैठक में चर्चा किए जाने की उम्मीद है। परिषद की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी और इसमें राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल होंगे। जीएसटी दर में बदलाव पर अंतिम निर्णय जीएसटी परिषद ही लेगी। वर्तमान में, जीएसटी एक चार-स्तरीय कर संरचना है जिसमें पांच, 12, 18 और 28 फीसद के स्लैब हैं। इस बीच जीएसटी मुआवजा उपकर पर गठित जीओएम ने अपनी रपट जमा करने के लिए जीएसटी परिषद से लगभग छह महीने का और समय दिए जाने की मांग करने का फैसला किया है।
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समूह को 31 दिसंबर तक अपनी रपट जीएसटी परिषद को सौंपनी थी। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के नेतृत्व में इस जीओएम का गठन किया गया था। इसमें असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के सदस्य शामिल हैं। अधिकारी ने कहा कि जीओएम ने फैसला किया कि मुआवजा उपकर मामले में कई कानूनी मुद्दे शामिल हैं।
कानून के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की जानी है, जिसमें समय लगेगा। परिषद को रिपोर्ट जमा करने के लिए समय बढ़ाने की मांग करने का निर्णय लिया गया है। ऐसी स्थिति में यह मंत्री-समूह पांच से छह महीने का और समय मांग सकता है।