लोक जनशक्ति पार्टी में चल रहे सियासी संघर्ष के बीच चिराग पासवान ने कहा है कि वे आज भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विश्वास करते हैं लेकिन यह एक तरफा ना हो। साथ ही उन्होंने भविष्य में राजद के साथ गठबंधन करने की संभावनाओं को लेकर कहा कि आप राजनीति में कभी भी किसी को ना नहीं कह सकते हैं।
द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में लोजपा नेता और जमुई से सांसद चिराग पासवान से जब राजद और तेजस्वी यादव के साथ गठबंधन को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आप राजनीति में कभी भी किसी को ना नहीं कह सकते हैं। साथ ही चिराग ने कहा कि अभी तक उन्हें प्रधानमंत्री मोदी पर पूरा भरोसा है और उन्होंने उनका हमेशा समर्थन भी किया है। लेकिन यह विश्वास एकतरफा नहीं हो सकता है।
आगे चिराग पासवान ने कहा “अगर बीजेपी मुझे एक कोने में धकेलती रहती है… तो हां, यह पार्टी पर निर्भर करेगा कि वह विकल्प तय करे कि आगे क्या होना चाहिए। पार्टी इसको लेकर फैसला करेगी।” इसके अलावा बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ने के फैसले का बचाव करते हुए चिराग पासवान ने कहा कि भाजपा से चर्चा होने के बाद ही यह तय किया गया था। चिराग ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष के साथ बैठक में यह निर्णय लिया गया था।
चिराग ने कहा “मैंने उन्हें साफ़ कर दिया था कि मेरे लिए सिर्फ 15 सीटों पर चुनाव लड़ना संभव नहीं है और वो भी तब जब आने वाली सरकार में मेरे एजेंडे को महत्व नहीं दिया जा रहा है, इसलिए मैं ऐसे गठबंधन का हिस्सा क्यों बनूं? साथ ही चिराग ने कहा कि लोजपा 2014 से ही भाजपा के साथ गठबंधन में थी जब जदयू इसका हिस्सा भी नहीं थी, इसलिए पार्टी ने यह फैसला किया था कि हमें भाजपा के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ना चाहिए।
इस दौरान जब चिराग पासवान से यह पूछा गया कि क्या भाजपा ने जदयू उम्मीदवारों के खिलाफ लोजपा उम्मीदवार उतारने के फैसले का समर्थन किया था। तो उन्होंने कहा कि हां, भाजपा के साथ इसपर अच्छी तरह से चर्चा हुई थी। उन्होंने भाजपा को साफ़ कह दिया था कि उनका गठबंधन सिर्फ भाजपा के साथ है और उन्हें प्रधानमंत्री मोदी पर पूरा भरोसा है। इसलिए भाजपा की सिर्फ छह सीटों को छोड़ कर उनके खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारा जाएगा।
इंटरव्यू के दौरान चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस के द्वारा बगावत किए जाने को लेकर कहा कि वह चुनाव आयोग और अदालतों में लड़ाई की तैयारी कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के 78 सदस्यों में से उन्हें 66 का समर्थन प्राप्त है। उन्होंने यह भी दावा किया कि सिर्फ दो प्रदेश अध्यक्ष पारस गुट के साथ गए हैं और बाकी सभी उनके साथ खड़े हैं।
इसके अलावा जब यह पूछे जाने पर कि क्या परिवार के सदस्यों के बीच मेल-मिलाप की कोई संभावना है तो चिराग पासवान ने कहा “जब तक यह मेरे हाथ में था, मैंने बंद दरवाजों के पीछे तमाम कोशिश की। लेकिन अब नहीं। अब यह मेरे हाथ में नहीं है। यदि राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने पशुपति कुमार पारस सहित उनके समर्थक नेताओं को निष्कासित करने का निर्णय लिया है, तो उन्हें वापस लेने या न लेने का निर्णय राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पास ही होगा।