लद्दाख की गलवान घाटी में हुई मुठभेड़ के जरिए भारत को घेरने की कोशिश में जुटे चीन के मंसूबे अब तक सीमा पर कामयाब नहीं हुए हैं। चीनी सैनिकों ने पहाड़ों पर भारतीय जवानों पर लोहे की रॉड, कंटीले तार से बंधे पत्थर और कई अन्य घातक हथियारों से वार किए। लेकिन भारतीय सेना के पलटवार के बाद उसे इन हमलों से कुछ हासिल नहीं हुआ। हालांकि, चीन भारत को परेशान करने के लिए कई अन्य मोर्चों पर काम कर रहा है। इन्हीं में से एक फ्रंट है साइबरसिक्योरिटी का। भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसियों ने शक जताया है कि चीन भारत सरकार की सूचनाओं से जुड़ी वेबसाइट्स पर साइबर हमले करा रहा है। इसके अलावा वह देश के बैंकिंग सिस्टम और पेमेंट सर्विस को भी लगातार निशाना बना रहा है। खुफिया विभाग को शक है कि चीन बैंकिंग सिस्टम्स के साथ एटीएम सेवाओं को भी निष्क्रिय करने की कोशिश कर रहा है।
जानकारी के मुताबिक, अब तक भारत पर हुए कई साइबर हमलों को चीन के चेंगदू शहर से ट्रेस किया गया है। चेंगदू चीन के सिचुआन प्रांत की राजधानी है और इसे पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की साइबर वॉरफेयर से जुड़ी यूनिट के हेडक्वार्टर के तौर पर जाना जाता है। बताया गया है कि चीन की ओर से यह हमले मंगलवार से ही शुरू हो गए हैं और बुधवार तक जारी रहे हैं। हालांकि, चीन को अब तक इसमें कोई कामयाबी नहीं मिली है।
भारतीय सेना का वो बाहुबली, जिसने 1300 सैनिकों को किया था ढेर
बता दें कि चेंगदू शहर में ही चीन के ज्यादातर हैकर ग्रुप काम करते हैं। इनमें से कई चीनी सरकारी एजेंसियों के लिए ही काम करते हैं। आमतौर पर भारत पर साइबर अटैक की सबसे ज्यादा कोशिश पाकिस्तान या मध्य यूरोप और अमेरिका के किराए के हैकर्स की तरफ से होते हैं, लेकिन पिछले दो दिनों में चीन की तरफ से हो रहे साइबर हमलों ने भारत सरकार को इस फ्रंट पर भी चौकन्ना किया है।
गौरतलब है कि एक दिन पहले ही भारतीय खुफिया एजेंसियों ने सरकार को चीन से संबंधित 52 मोबाइल ऐप्स पर पूरी तरह प्रतबिंध लगाने की मांग की। चीन से लद्दाख के गलवान रिवर फ्रंट पर हुई मुठभेड़ के बाद मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से यह बात सामने आई। बताया गया है कि खुफिया एजेंसियों ने जिन ऐप्स के बारे में सरकार को जानकारी दी है, वे सभी बड़ी मात्रा में लोगों के मोबाइल से डेटा निकालने में जुटी हैं और उन्हें सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक कहा गया है।
खुफिया विभाग ने जिन ऐप्स की लिस्ट सरकार को भेजी है, उसमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप जूम, शॉर्ट वीडियो ऐप टिकटॉक और यूसी ब्राउजर, जेंडर, शेयर इट और क्लीन मास्टर जैसी ऐप्स शामिल हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अफसर ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि सरकार के सामने जिन ऐप्स को बैन करने का प्रस्ताव रखा गया है, उन पर उसे नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल (एनएससी) मंत्रालय की तरफ से समर्थन मिला है। इन सभी ऐप्स को भारत की सुरक्षा के लिहाज से खतरा माना गया है।